1/
जो तुलसी जी को जल अर्पित करता है,
उनकी सेवा करता है,
और हरि का चिन्तन करता है,
उस पर कोई भी पाप स्पर्श नहीं कर सकता।
2/
📿 आपने सुना होगा:
800 ग्राम सोना या
3.2 किलो चाँदी का दान करने से
जो पुण्य मिलता है…
3/
…उसका फल भी
एक तुलसी का पत्ता
(जो तुलसी का पौधा आपने अपने हाथों से लगाया हो)
श्री हरि के चरणों में अर्पित करने के फल की बराबरी नहीं कर सकता।
4/
👉 इसलिए
आप भी तुलसी का पौधा लगाइए।
उनकी सेवा कीजिए और जल अर्पित कीजिए।
रोज सुबह तुलसी के पत्ते चुनिए
और श्री हरि को अर्पित करिए।
5/
लेकिन 🚨
बहुत सावधान रहें।
द्वादशी तिथि को
तुलसी का पत्ता कभी भी न तोड़ें।
6/
द्वादशी के दिन
तुलसी के पौधे को
छूना भी नहीं चाहिए।
यह शास्त्रों में घोर अपराध माना गया है।
7/
यदि द्वादशी को तुलसी को तोड़ा या छुआ,
तो ब्रह्महत्या के बराबर पाप लगता है।
⚠️ यह साधारण भूल नहीं,
एक महापाप है।
8/
इसलिए
🔹 नियमपूर्वक तुलसी की सेवा करें
🔹 केवल उचित तिथियों में तुलसी के पत्ते तोड़ें
🔹 द्वादशी को तुलसी से दूर रहें
🔹 और श्रद्धा से हरि का स्मरण करें
9/
तुलसी सेवा + हरि स्मरण =
पापों से मुक्ति + आत्मा की शुद्धि + प्रभु की कृपा
मार्गदर्शक: पूज्य श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज