हमारी इन्द्रियाँ बहिर्मुख होकर बाहर सुख ढूँढ रही हैं, जिससे हमसे पाप हो रहे हैं।…
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हमारी इन्द्रियाँ बहिर्मुख होकर बाहर सुख ढूँढ रही हैं, जिससे हमसे पाप हो रहे हैं।…
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