रिश्तेदार का सपने में आने का क्या मतलब है?
रिश्तेदार जो सपने में आते हैं, उनका कोई स्थायी अर्थ नहीं होता क्योंकि सपनों का सीधा संबंध आत्मा से नहीं होता। यह तीन प्रकार के होते हैं:
- जिनसे मन का पूर्व संबंध रहा हो,
- पूर्णत: काल्पनिक, और
- आध्यात्मिक — भगवान या संत के दर्शन।
मरे हुए रिश्तेदार की मदद कैसे करें?
अगर आपके मन में यह भाव है कि आपने उनकी सेवा में कुछ कमी रखी है, या उन्हें किसी चीज़ की आवश्यकता है, तो अब भी कुछ किया जा सकता है।
अगर पूर्वज दुख में प्रतीत हों, तो उनके लिए करें:
- श्रीमद्भागवत पाठ
- गौ सेवा
- संतों को भोजन
- दान-पुण्य
- नाम जप कर उन्हें समर्पित कर देना
जो भी जप, दान या पाठ आप श्रद्धा से करेंगे, उसका फल उन्हें प्राप्त होता है। यह शास्त्र सम्मत विधान है।
उदाहरण: एक माला नाम जप करें और फिर, मन में भावना करें — “यह माला मेरे पिताजी/माता जी को समर्पित हो” तो वह पुण्य उन्हें मिल जाता है।
क्या सपने सत्य होते हैं?
राजा जनक ने एक रात सपने में खुद को भिखारी रूप में देखा। वे विचलित होकर उठ गए। जब वे जागे तो वे सम्राट रूप में राजमहल में ही थे। तब प्रश्न उठा — “जागे हुए राजा जनक सत्य थे या सपने में जो थे वह सत्य?”
इसपर जनक जी की सभी में अष्टावक्र जी बोले — “ना यह सत्य, ना वह सत्य — केवल हरिनाम सत्य है।” वह तो स्वप्न था, तो असत्य। यह जो देख रहे हो, इसका भी अंत होगा, तो यह भी असत्य। केवल भगवान का नाम ही है जो आपके साथ जा सकता है।
निष्कर्ष
स्वप्न केवल मन का खेल है, सत्य केवल प्रभु की भक्ति है। इसलिए स्वप्न में नहीं उलझना चाहिए। अगर मन प्रेरित करे, तो पुण्य कार्य करके मरे हुए रिश्तेदार को समर्पित करना चाहिए। उनकी उन्नति होगी, आपका मन भी शांत होगा।
नाम जप, गौ सेवा, संत सेवा, भागवत कथा का पाठ और श्रवण — यही असली श्रद्धांजलि है।
मार्गदर्शक: पूज्य श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज