प्यार में धोखा मिला! अब शादी करूँ या नहीं ? (ऑडियो सहित)

by Shri Hit Premanand Ji Maharaj
प्यार में धोखा मिला! अब शादी करूँ या नहीं ?
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आप केवल लोगों से मिले धोखे की बात कर रहे हैं? जन्मों से हमें धोखा मिलता आ रहा है। लोगों से क्या, हमारा अपना मन ही हमें धोखा दे रहा है। हमारी अपनी इंद्रियाँ भी हमें धोखा दे रही हैं। हमारा जीवन नष्ट होता जा रहा है। हम मन और इंद्रियों की गुलामी में, मनमाने आचरण और विषय-भोगों में उलझकर ठगे जा रहे हैं। आपने बाहर के दो-चार लोगों से मिले धोखे को देखा। आपने घर के सदस्यों से मिले धोखे को भी देखा। कार्य या ऑफिस के मित्रों से मिले धोखे को भी देखा। लेकिन क्या आपने अपने मन को देखा? यह आपके साथ इतना बड़ा धोखा कर रहा है कि जन्मों के जन्म नष्ट होते जा रहे हैं। फिर भी, हम इस धोखेबाज को अपना मित्र मानकर उसके अनुसार चल रहे हैं।

हम इसके कहे अनुसार खा रहे हैं, पी रहे हैं, देख रहे हैं और सुन रहे हैं। यह हमारी इंद्रियों के साथ मिलकर हमसे मनमानी आचरण करवा रहा है। इसने हमें भगवान से विमुख कर दिया है। यह हमें हमारे असली आनंद से दूर कर रहा है। तो सबसे पहले हमें अपने इस धोखेबाज मन को देखना होगा। इसे सुधार लेंगे, तो सब कुछ सुधर जाएगा। बाहर कुछ नहीं सुधारना है, बस अंदर सुधारना है। अध्यात्म का यही सार है:

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

तेरे भावे जो करे, भलो बुरो संसार।
नारायण तू बैठकर, अपनो भवन बुहार।।

संसार में जिसको जो भावे वो करे [चाहे भला चाहे बुरा], न तो हम भले का चिंतन करेंगे न बुरे का, न ही किसी की सुनेंगे। श्री नारायण स्वामी कहते हैं, अरे मन! तू अपने बारे में सोच, अर्थात् तू तो केवल श्री राधा कृष्ण का चिंतन कर।

दूसरे की गलतियों को अनदेखा करें, अपनी गलतियाँ स्वीकार करें

अगर आपको ऐसा लगता है कि आप सबके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं और सब आपके साथ बुरा व्यवहार करते हैं, तो सबसे बुरी बात यह है कि आपको अपनी अच्छाई का अभिमान हो गया है और आप दूसरों के प्रति स्वार्थपूर्ण दृष्टि रखते हैं। आप चाहते हैं कि लोग आपको नमन करें और आपके अनुसार चलें। यह अध्यात्म के अनुसार एक बुराई है।

अध्यात्म कहता है, “नेकी कर, दरिया में डाल।” कोई हमें धन्यवाद कहे, ऐसी अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए। आप अपने कर्तव्य का पालन करें। सामने वाला अपनी बुद्धि और स्वभाव के अनुसार आपके साथ जैसा भी व्यवहार करे, उससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए। अध्यात्म मार्ग पर चलने वाले को कोई दुख नहीं दे सकता।

सभी रूपों में केवल भगवान ही हैं!

सभी रूपों में केवल भगवान ही हैं!

यहाँ सब रूपों में भगवान हैं, लेकिन हम इस बात को समझ नहीं पा रहे हैं। हमारी जैसी वृत्ति होती है, सारा संसार हमें वैसे ही दिखाई देता है। अगर हमारे भीतर दुष्टता है, तो हमें हर कोई दुष्ट नजर आएगा। यदि हमारे भीतर काम की वृत्ति है, तो हमें सब कामी दिखेंगे। जब राम की वृत्ति होती है, तब सारा जगत राममय प्रतीत होता है। जैसा कि कहा गया है:

सीय राममय सब जग जानी।
करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी॥

अर्थात, इस पूरे जगत को श्री सीताराममय जानकर मैं दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ।

हमारी वृत्ति ही हमारे दृष्टिकोण को निर्धारित करती है। जिस प्रकार की वृत्ति हमारे भीतर होती है, वैसा ही बाहरी दृश्य हमें दिखाई देता है।

मन और इंद्रियों को संभालना

अपने मन और इंद्रियों को संभालो। किसी से धन्यवाद पाने की इच्छा मत रखो और दूसरों का मंगल करो, तो तुम्हारा भी मंगल होगा। भगवान तुम्हें आनंद प्रदान करेंगे। अपनी गलतियों की जांच करो। रोज शाम को बैठकर, सुबह से शाम तक हुए धर्म-विरुद्ध आचरणों की जाँच करें। हम अक्सर अपनी गलतियों को छुपा लेते हैं और दूसरों की छोटी-सी गलती को भी बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं। हमें चाहिए कि दूसरों की बड़ी से बड़ी गलती को अनदेखा कर दें और अपनी छोटी-सी गलती को भी स्वीकार करके उसे नष्ट करें। यदि हम ऐसा करेंगे, तो हम निर्दोष हो जाएंगे। जब हम निर्दोष हो जाएंगे, तब हमारी दृष्टि में सब कुछ मंगलमय दिखाई देगा।

धोखा मिलने के बाद शादी करूँ या नहीं?

धोखा मिलने के बाद शादी करूँ या नहीं?

आप अपने विवाह का फैंसला भगवान पर छोड़ दें। अगर आपको जीवनसाथी दिलाना होगा तो वो स्वयं अनुकूल दूल्हा बनकर आ जाएंगे। बस हाथ ऊपर करके उनकी शरण में हो जाएँ। हमें चिंता नहीं करनी, बस प्रभु का चिंतन करना है। भगवद गीता में लिखा है:

अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्
भगवद् गीता 9.22
जो अनन्य भक्ति से सदैव मेरी पूजा करते हैं, तथा मेरे दिव्य स्वरूप का ध्यान करते हैं – मैं उन्हें वह सब कुछ दे देता हूँ जो उनके पास नहीं है, तथा वह सब कुछ जो उनके पास है, उसकी रक्षा करता हूँ।

अगर प्रभु चाहें, तो वे आपको आपकी कल्पना से भी सौ गुना बेहतर जीवनसाथी दे सकते हैं। तब आप जीवनभर भगवान का आभार मानेंगे और कहेंगे, “प्रभु, आपने मुझ पर बड़ी कृपा की जो ऐसा जीवनसाथी दिया।” आप बस अपना सब कुछ प्रभु के ऊपर छोड़ दीजिए। आपको केवल प्रभु का चिंतन करना चाहिए, चिंता नहीं। भगवान स्वयं सारी व्यवस्था कर देंगे। वे इतने समर्थ हैं कि मच्छर को ब्रह्मा बना सकते हैं और ब्रह्मा को मच्छर। उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है।

प्यार में धोखा मिलने पर सुविचार

मूकं करोति वाचालं पङ्गुं लङ्घयते गिरिं ।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्
जिनकी कृपा से गूंगे बोलने लगते हैं, लंगड़े पहाड़ों को पार कर लेते हैं, उन श्रीकृष्ण की मैं वंदना करता हूँ।

आप अब यह न सोचें कि मुझे कैसा जीवनसाथी मिलेगा या मिलेगा भी या नहीं। आप बस प्रभु के भरोसे हो जाइए। यदि भगवान संयोग बनाएंगे, तो वह बढ़िया ही होगा। उनका किया हुआ संयोग कभी भी आपका अमंगल नहीं कर सकता।

मार्गदर्शक: श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज

श्री हित प्रेमानंद जी महाराज प्यार में मिले धोखे से आगे बढ़ने पर मार्गदर्शन करते हुए

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