निरंतर नाम जप नहीं हो पा रहा? क्या उपाय करूं?

by Shri Hit Premanand Ji Maharaj
नाम जप के नियम और सावधानियाँ

नाम जप सिद्ध करना है तो ये 20 बातें छोड़नी पड़ेंगी

1. भगवत-विमुख संग

ऐसे व्यक्ति/विषयों से संग न करें जो गुरु या इष्ट के प्रति अविश्वास जगाते हों। उनकी बातें सुनना, चिंतन करना भी भक्ति को बाधित करता है।

2. अधिक बोलना

मौन वृति साधक का आभूषण है। ज्यादा बोलने से निंदा, मिथ्या वचन, वाणी का पाप और मन का विक्षेप बढ़ता है।

3. भोगों की नई-नई इच्छा

नवीन भोजन, वस्त्र, इंद्रिय सुख खोजते रहना भजन में तन्मयता खत्म कर देता है।

4. अधिक सोना

तमोगुण बढ़ता है, जप-ध्यान में रुचि नहीं रहती। नियत समय पर उठना और संयमित दिनचर्या जरूरी है।

5. अधिक भोजन करना

जितना चाहिए उससे ज्यादा खाएंगे तो आलस्य और विषय वासना बढ़ेगी। अल्पाहार साधक का मित्र है।

6. हंसी-मजाक में पड़ना

गंदी मजाक और व्यर्थ हास्य साधक का मन गिरा देता है।

7. रिश्तों में अति आसक्ति

स्त्री, पुत्र, नातेदारों में अति-ममता साधक को खींच लेती है।

8. क्रोध

एक बार का तीव्र क्रोध महीनों का भजन ढक देता है। प्रतिकूल परिस्थिति में भी शांत रहना साधक की परीक्षा है।

9. हिंसा

शरीर, वाणी या मन से किसी को दुख देना साधना को अंदर से जला देता है।

10. काम विकार

सबसे सूक्ष्म और गहरी बाधा। नाम और भगवत आश्रय से ही इसे जीता जा सकता है।

11. निंदा सहन न कर पाना

जो हमारी निंदा करता है वह प्रारब्ध का नाश कर रहा है। साधक को निंदा को सहन करना सीखना चाहिए।

12. स्वयं दूसरों की निंदा करना/सुनना

निंदा वाणी को अपवित्र कर देती है और भजन में रुचि खत्म हो जाती है।

13. आलस्य

समय पर उठना, जप करना, सेवा करना – प्रमाद नहीं होना चाहिए।

14. शौक़ीनपन

वस्त्र, भोजन, साधनों में अनावश्यक शौक रखना भजन को कमजोर करता है।

15. यश और प्रसिद्धि की चाह

सम्मान विष है। यश-कीर्ति स्वीकार करने से अहंकार पुष्ट होता है।

16. श्रेष्ठता का अभिमान (गुरुपन)

“मैं बड़ा साधक हूं, ज्ञानी हूं” – यह भाव भजन को खत्म कर देता है।

17. परदोष चिंतन

दूसरों के दोषों में मन अटकाना धीरे-धीरे वही दोष हमारे अंदर ला देता है।

18. दिखावट

साधना में कोई बनावट या नौटंकी न हो। अपना भजन छुपाकर रखें। अगर दूसरों को दिक्कत हो तो कंठी, तिलक भी ना धारण करें। अंदर ही अंदर भजन करें।

19. आवश्यकताओं को बढ़ाना

साधक की जरूरतें जितनी कम होंगी, प्रकृति का शासन उतना कम होगा।

निष्कर्ष: यह 20 उपाय साधक के नाम जप में निरंतरता ले आएगा

🌸 इन 20 दोषों से बचेंगे तो नाम जप निरंतर चलेगा।
साधक का हर क्षण केवल इष्ट के चिंतन में लगेगा।

मार्गदर्शक: पूज्य श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज

श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज निरंतर नाम जप में बाधा पर मार्गदर्शन करते हुए

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