मन को Control में रखने में नियम कैसे सहायक होते हैं?
मन को स्थिर करने हेतु नियम पालन अत्यंत आवश्यक है क्योंकि मन की चंचलता नियम से बाँधी जा सकती है। नियम लेने और उस पर दृढ़ रहने से, मन स्वतः नियंत्रण में आ जाता है।
मन को अनुशासित करने के लिए कैसी दिनचर्या होनी चाहिए?
दिनचर्या का पालन प्रत्येक दिन होना चाहिए, जिसमें प्रमुख कार्यों को नियमित रूप से किया जा सकता है।
- रोज़ एक ही समय पर उठना
- एक निश्चित समय पर सोना
- उठकर थोड़ा नाम जप और व्यायाम
- समय पर अपने सभी कार्यों को करना
जो दिनचर्या के नियम से नहीं चलता, वो मन पर कभी अधिकार नहीं कर सकता।
धर्म और कर्तव्य पालन से भटके तो क्या होगा?
जो भी कर्तव्य तुम्हें मिला है — घर, समाज, राष्ट्र या किसी पद की सेवा — उसे धर्म पूर्वक करो। अधर्मी कर्म जीवन को निष्फल बना देते हैं।
उदाहरण के रूप में –
- अगर आप वकालत करते हैं, और यदि आपने किसी दोषी को धन लेकर बचा लिया और निर्दोष को सज़ा दिलवा दी — तो वो अधर्म तुम्हारा सर्वनाश कर देगा। धन से धर्म न बेचना।
- अगर आप नकली दवा बेच रहे हैं, या मिलावट वाला दूध घी बेच रहे हैं, तो प्रभु उस अधर्म का हिसाब ज़रूर करेंगे।
- अगर आप दुकान चलाते हैं और झूठ बोलकर सामान बेचते हैं, या भ्रष्ट तरीक़ों से धन कमाते हैं — तो ये सब अशांति और दुख को आमंत्रण देना है। जो तुम दूसरों के साथ कर रहे हो, वही भगवान तुम्हारे साथ करेंगे।
अधर्म के रास्ते से पैसा तो मिल सकता है, लेकिन परिवार टूट जाएगा। मकान तो बनेगा, पर मन अशांत रहेगा। व्यापार बढ़ेगा, परंतु सुख नहीं मिलेगा।
धर्म और कर्तव्य पालन करने से क्या होगा?
धर्म से कमाया गया एक रोटी का टुकड़ा भी परम आनंद दे सकता है। जो व्यक्ति अपने धर्म और कर्तव्य पर अडिग रहता है, उसका जीवन सुखमय होता है और उसकी दुर्दशा नहीं होती।
निष्कर्ष: इन नियमों के पालन से मन को Control कर सकते हैं
धर्म से कमाया गया थोड़ा सा धन भी सच्चा सुख दे सकता है, जबकि झूठ, बेईमानी और अधर्म तुम्हें भीतर से जलाकर राख कर देंगे, इसलिए इन नियमों का पालन करे।
- प्रत्येक दिन की दिनचर्या,
- नाम जप, और
- धर्मपूर्वक कर्तव्य
मार्गदर्शक: पूज्य श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज