गोस्वामी तुलसीदास जी श्री रामचरितमानस में कहते हैं कि ऐसा कौन-सा हृदय है जिसे स्त्री के नैन रूपी बाणों ने घायल ना किया हो? ऐसा हृदय केवल वही हो सकता है जो प्रभु को समर्पित हो। जिसके मन में हर समय भगवान का स्मरण चलता रहता है, उसके हृदय को यह सांसारिक बाण कभी भी छलनी नहीं कर सकते। ऐसे व्यक्ति के लिए देखने योग्य केवल प्रभु और उनके भक्त होते हैं, बाकी संसार में कुछ भी आकर्षक नहीं होता। संसार के शरीरों में जो आकर्षण प्रतीत होता है, वह केवल मल-मूत्र की सुंदरता है। इस सिद्धांत को समझने के लिए एक कथा का वर्णन नीचे किया गया है।
राजकुमारी और दासी के पुत्र की कथा
एक राजमहल में एक दासी सेवा करती थी। एक दिन दासी का पुत्र किसी काम से राजमहल आया और उसने राजकुमारी को महल की छत पर देखा। राजकुमारी की सुंदरता से वह इतना मोहित हो गया कि उसका मन बेचैन हो उठा। उसने सोचा कि राजकुमारी और उसके बीच कोई मेल नहीं हो सकता, फिर भी उसकी चाहत इतनी प्रबल हो गई कि उसने तय किया कि अगर राजकुमारी से विवाह नहीं हुआ तो वह अपने प्राण त्याग देगा।

पुत्र ने खाना-पीना छोड़ दिया और अपनी माँ से कहा कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है। जब काफी दिन बीत गए, तो उसकी माँ ने राज वैद्य से उसे देखने का आग्रह किया। वैद्य ने निरीक्षण के बाद बताया कि पुत्र के शरीर में कोई शारीरिक रोग नहीं है।
माँ ने फिर अपने बेटे से बोला, “तू मेरा इकलौता पुत्र है, मुझे बता क्या बात है।” पूछने पर बेटे ने कहा, “माँ मेरी इच्छा पूरी करने का तुम्हारा सामर्थ्य नहीं है, अतः मेरी मृत्यु निश्चित है।” माँ ने फिर कहा, “बेटा अपनी इच्छा एक बार बताओ, मैं उसे पूरी करने की कोशिश करूँगी।” अंततः बेटे ने बताया, “मेरा चित्त राजकुमारी की तरफ़ आकर्षित हो गया है, अब मैं उसके बिना नहीं जी सकता। क्या आप उससे मेरा विवाह करवा सकती हो?” तब माँ ने सोचा, “अगर मैंने यह बात जाकर राजा से बोली तो मुझे तुरंत मृत्यु दंड दे दिया जाएगा”।

वह राजकुमारी के पास गई और उसके चरण पकड़ कर बोली, “तुम्हारी सुंदरता को देखकर मेरे बेटे का मन व्याकुल हो गया है और वो तुमसे विवाह करना चाहता है। मैं जानती हूँ कि वो तुम्हारे योग्य नहीं है और यह संभव नहीं है। बेटी, मैं तुमसे कुछ मांग नहीं रही हूँ और ना मैं चाहती हूँ कि तुम मेरे पुत्र से विवाह करो, पर मैं तुमसे उपाय जानना चाहती हूँ कि कैसे मैं अपने पुत्र के मन से यह बात हटा सकती हूँ?” राजकुमारी सत्संगी थी, उसने बोला, “आप चिंता ना करें। एक पक्का उपाय है। आप अपने पुत्र को चार दिन बाद मेरे पास ले आना। मैं उससे बात कर लूँगी।”
राजकुमारी का उपाय
राजकुमारी ने राजवैद्य से जाकर ऐसी औषधि ली जिससे उसे लगातार शौच लगे। उसने अपने मल से सोने के कई घड़े भरवा दिए। उन घड़ों के आसपास दुर्गंध आने लगी और मक्खियाँ भिनभिनाने लगीं। उसने सब दासियों से कह दिया कि वहाँ सफ़ाई न की जाए और उसके कक्ष को चार दिन तक वैसा ही रहने दिया जाए।

इतनी बार शौच जाने की वजह से राजकुमारी की सुंदरता और चेहरे की कांति चली गई और उसका चेहरा पीला पड़ गया। चार दिन बाद दासी अपने पुत्र को लेकर आई। जैसे ही वह राजकुमारी के कक्ष की तरफ आया तो उसे भयंकर दुर्गंध आने लगी। चार दिन लगातार शौच के कारण राजकुमारी के मुख की कांति फीकी पड़ गई थी और जब पुत्र ने राजकुमारी के पीले पड़े मुख को देखा तो बोला, “वह राजकुमारी कहाँ गई जिसे मैंने छत पर देखा था? वो कहाँ है जिसके रूप पर मैं मोहित हो गया था?” राजकुमारी ने उत्तर दिया, “वह सुंदरता उन घड़ों में भरी है।” पुत्र ने यह सुनकर तुरंत कहा, “मुझे तुमसे विवाह नहीं करना।” इस प्रकार, दासी का पुत्र सांसारिक मोह से मुक्त हो गया।

निष्कर्ष
हमारे हृदय में जो सांसारिक रूपों की तरफ़ आकर्षण है, वह केवल मल-मूत्र का आकर्षण है। निर्मल आकर्षण तो केवल भगवान का या उनके भजन का होता है। अगर आप भजन मार्ग में चलना चाहते हैं, तो किसी के मुख की तरफ़ ना देखें, हमेशा उनके चरणों की तरफ़ देखें। हम केवल भगवान की सुंदरता को निहारेंगे, उनकी मुस्कुराहट से ही इस माया का जन्म हुआ है।
मार्गदर्शक: पूज्य श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज