कोई अपमान, विश्वासघात, बुरा व्यवहार करे या धोखा दे, तो क्या करें? (ऑडियो सहित)

by Shri Hit Premanand Ji Maharaj
कोई अपमान, विश्वासघात, बुरा व्यवहार करे या धोखा दे, तो क्या करें?
इस ब्लॉग को ऑडियो रूप में सुनें

कोई मेरा अपमान करता है तो मुझे बहुत क्रोध आता है!

कोई अपमान करे तो क्या करें?

जन्मों-जन्मों से हमारे कर्म जमा हैं, जिनमें से कुछ शुभ कर्म और कुछ अशुभ कर्म लेकर हमारे इस शरीर की रचना की गई है। जब तक ये शरीर रहेगा, सुख-दुख आते रहेंगे। हमें ऐसे लोग मिलेंगे जो हमें सुख पहुँचाएँगे, और ऐसे व्यक्ति भी मिलेंगे जो हमें दुख पहुँचाएँगे। जब कोई हमारे साथ दुख पहुँचाने वाला व्यवहार करता है, तो वो हमारे कर्मों का ही फल है। इसमें सामने वाले की कोई गलती नहीं है, वो तो बस आपके कर्म को ख़त्म करने आया है और वो आपका सहयोगी है। आपके जीवन में कुछ ऐसे लोग होंगे, जिनसे मिलकर आप आनंदित हो जाएँगे; वे लोग आपके शुभ कर्म ख़त्म करने आए हैं। और कभी ऐसे लोगों से भी पाला पड़ेगा जो आपको दुखी कर देंगे; ऐसे लोग आपके अशुभ कर्म ख़त्म करने आए हैं।

अध्यात्म आपको किसी की निंदा करने की अनुमति नहीं देता। अगर कोई आपकी निंदा करे, तो उसे सह जाएँ। हमारे प्रभु सबके हृदय में बैठे हैं, वो सब पर शासन करते हैं। जो दुष्ट लोग संसार का विनाश करना चाहते हैं, उनके पास अस्त्र-शस्त्र भी हैं और सैनिक भी हैं, पर वो कुछ कर पाते हैं क्या? वो उतना ही उत्पात मचा पाएँगे जितना मचना है। यह प्रभु की विनाश लीला होती है। वही प्रभु किसी के हृदय में बैठकर आपका भला करने के लिए आपके साथ बुरा करवा रहे हैं। जैसे एक बच्चे को उसकी माँ, जो उसका ऑपरेशन करवा रही हो, बुरी लग सकती है। वो सोच सकता है कि मेरी माँ कितनी कठोर है जो जानबूझकर मुझे इन डॉक्टरों से इतना कष्ट दिलवा रही है। लेकिन वो उसका रोग दूर करवाकर, उसे स्वस्थ करने के लिए ऐसा कर रही है। इसी तरह, हमें बस यही मानना है कि हमारे जीवन में जो भी होता है, वो प्रभु हमारे भले के लिए ही करते हैं। प्रभु तो बस हमारे पाप रूपी रोगों का ऑपरेशन करवा रहे हैं। अगर आप इतनी समझ रखेंगे, तो आपका हृदय शीतल हो जाएगा।

आपका बुरा करने वाले से घृणा (नफ़रत या द्वेष) ना करें!

आपका बुरा करने वाले से घृणा (नफ़रत या द्वेष) ना करें!

अगर कोई हमारे साथ बुरा करता है तो उसके प्रति द्वेष उत्पन्न होना स्वाभाविक है। लेकिन, अगर हम आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का प्रयास कर रहे हैं तो इसे आसानी से बदला जा सकता है। हमें सोचना होगा कि हमारे साथ हो रहे बुरे व्यवहार का कारण क्या है। आपको सामने वाले की क्रिया पर ध्यान नहीं देना। अगर आपने कोई गलती नहीं की और फिर भी कोई आपको गाली दे रहा है या आपका अपमान कर रहा है तो हमें उसके पीछे के कारण को समझना होगा। एक भक्त सोचता है कि उसके साथ जो भी हो रहा है, उसका कारण केवल भगवान हैं। शायद हमारे कोई ऐसे अपराध थे, जिनका हमें भयंकर दंड मिलता, लेकिन प्रभु ने थोड़ा सा अपमान करवा के हमें बचा लिया। अगर आप लोगों के द्वारा की गई क्रिया पे ध्यान नहीं देंगे, तो आपको उनसे द्वेष नहीं होगा।

अगर आप दूसरों की क्रिया पर ध्यान देंगे, तो आपको गुस्सा आएगा। अगर आपने उस गुस्से में आकर कुछ किया, तो ये नया कर्म बन जाएगा और आपको उसका फल भुगतना होगा। थोड़े से क्रोध में आकर लोग दूसरों का नुक़सान करते हैं और यहाँ तक कि किसी की हत्या भी कर देते हैं। लेकिन ऐसे लोगों को यहाँ का और प्रभु का कानून दंड देता है और वो जीवन भर अंदर से जलते रहते हैं। एक मिनट की असावधानी आपका जीवन नष्ट कर सकती है।

जब आपके साथ ग़लत हो रहा हो तो अपना सिर झुकाकर वहाँ से चले जाएँ। जब आप ऐसे चलेंगे तो प्रभु आपकी रक्षा करेंगे। आप जिनके सामने से सिर झुकाकर निकलेंगे, प्रभु उनका सिर नीचा करवाकर ही छोड़ेंगे। आप केवल सहन करें और दूसरों को क्षमा करें। उस समय अंदर ही अंदर नाम जप करें। लड़ाई-झगड़ा करना इसका समाधान नहीं है। विश्व में किसी में दम नहीं है कि हमारे साथ बुरा कर सके। अगर कोई हमारे साथ बुरा कर रहा है तो वो हमारे कर्मों का ही फल है। हमें उसे सहन कर लेना चाहिए, हिसाब बराबर हो जाएगा।

मुझे कब तक सहन करना चाहिए? क्या मुझे पलट के जवाब देना चाहिए ?

मुझे कब तक सहन करना चाहिए? क्या मुझे पलट के जवाब देना चाहिए ?

सहन करने की एक सीमा है। अगर कोई हमें कुछ भला-बुरा कह रहा हो या गाली दे रहा हो तो हमें सहन कर लेना चाहिए। लेकिन अगर कोई हमारे धर्म या कर्तव्य पर वार करे, तो हमें क़ानून का सहारा लेना चाहिए। अगर आप समर्थ हैं तो तत्काल अपनी रक्षा करें। अगर आप एक महिला हैं और कोई आप पर बुरी दृष्टि रख रहा है या आप पर आक्रमण करता है, तो तुरंत ख़ुद को उस स्थिति से बाहर निकालने का प्रयास करें और फिर इसकी रिपोर्ट करें और क़ानून का सहारा लें।

कंस अपनी बहन देवकी जी को स्वयं रथ में लेकर विदा करने जा रहा था और उसी समय यह भविष्यवाणी हुई कि देवकी जी का पुत्र कंस की मृत्यु का कारण बनेगा। कंस ने देवकी जी को मारने के लिए अपनी तलवार निकाल ली। वसुदेव जी समझ गए कि वह समय बल से नहीं बल्कि बुद्धि से काम लेने का था। उन्होंने कंस को अपनी हर संतान सौंपने का वचन दिया। अवसर देखकर, अपने बल, बुद्धि या क़ानून की सहायता से अपनी रक्षा करें।

अगर अपने ही लोगों में कोई आपका शोषण कर रहा हो, तो उसे ना सहें। क़ानून का रास्ता चुनें और उनकी शिकायत करें और अपनी सुरक्षा करें। छोटी-मोटी चीज़ें जो सही जा सकती हों, जैसे पति-पत्नी के बीच में अनबन या परिवार में मनमुटाव, उन्हें सहन करें। लेकिन अगर आपको लगता है कि कोई आपके जीवन और धर्म का नाश कर सकता है, जैसे अगर आपके पति या पत्नी ग़लत मार्ग पर निकल पड़े हों, तो ज़रूरत पड़ने पर तलाक (डाइवोर्स) भी एक रास्ता है। कई जगह देखा गया है कि ख़ुद के परिवार वाले ही बच्चों का शोषण कर रहे थे, ऐसी परिस्थितियों में सावधान होकर और क़ानून का सहारा लेकर अपनी रक्षा करना ज़रूरी है।

निष्कर्ष

कोई अपमान, विश्वासघात, बुरा व्यवहार करे या धोखा दे, तो क्या करें?

नाम जप करें, परमार्थ का आश्रय लें, सहनशील बनें, प्रभु आपकी सहायता करेंगे। यहाँ कोई किसी को सुख-दुख नहीं देता, सब बस अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं। अपने कर्मों को भोग लें और नाम जप करके अपनी अगली फ़सल अच्छी कर लें। जो आपका अपमान करे, जो आपको धोखा दे या जो आपके साथ विश्वासघात करे, अगर उनके साथ बुरा हो तो आप खुश ना हों। वो भी अपने कर्मों का फल ही भुगत रहे हैं। आप प्रभु से उसके भले के लिए प्रार्थना करें। इससे उसका कल्याण हो ना हो, आपका कल्याण ज़रूर होगा। लेकिन अगर आप उनकी दुर्दशा देखकर खुश होते हैं तो ये नया चिंतन और द्वेष आपको बाद में अंदर से जलाएगा।

मार्गदर्शक: पूज्य श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज

पूज्य श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज बुरे व्यवहार से निपटने पर मार्गदर्शन करते हुए

Related Posts

error: Copyrighted Content, Do Not Copy !!