क्या संतों के पास कामना पूर्ति (नौकरी, बीमारी से मुक्ति आदि) के लिए जाना चाहिये?

by Shri Hit Premanand Ji Maharaj
क्या संतों के पास कामना पूर्ति के लिए जाना चाहिये

सबके अंदर भावना होती है कि भगवान और संत जनों के पास जाकर हमारी समस्याओं का समाधान हो, यह अच्छा विचार है। प्रेम समुद्र करुणानिधान भगवान सबका मंगल करते हैं। कोई भी कामना ऐसी नहीं है जो वह पूरी ना कर सकें। लेकिन हम लोग पाप आचरण करना नहीं छोड़ते। लोग कहते हैं कि हमने कुछ दिन नाम जप करके देखा, पर हमारी कामना पूर्ण नहीं हुई। किसी भी कामना की पूर्ति के लिए अगर राक्षसों ने भी अनुष्ठान किया तो उन्होंने सारे असत् आचरणों का त्याग करके ऋषि मुनियों की तरह साधना की और मंत्र सिद्ध किया। अब लोग सोचते हैं कि सेब-संतरा दान करने से कामना की पूर्ति हो जाएगी। लोग सोचते हैं कि लाखों की बेईमानी करके अगर कुछ हज़ार किसी बाबा जी को दे देंगे तो उनकी कामना पूरी हो जाएगी, ऐसा नहीं होता।

हमारे दुख का कारण हमारे पुराने बुरे आचरण हैं। और हम अभी भी नए बुरे आचरण कर रहे हैं। जब आप कोई भी नया पुण्य (सुकृत) करेंगे तो आपके बुरे कर्म आपको नष्ट करने के लिए खड़े हो जाएँगे। वो आपको दंड देंगे। इस वजह से आपकी अच्छे कर्मों या संतों में अश्रद्धा हो जाएगी। इससे आपको भजन में अरुचि हो जाएगी। इसके बाद आपके बुरे कर्म आप पर आक्रमण करेंगे। और जब तक आपके बुरे कर्म बाक़ी हैं, वह आपको सुखी नहीं होने देंगे। अगर आपकी नौकरी लग भी गई है, तो वो ऐसी बाधा खड़ी करेंगे कि आप तनाव मुक्त नहीं हो पायेंगे।

तब लगि कुसल न जीव कहुँ, सपनेहुँ मन बिश्राम।
जब लगि भजत न राम कहुँ, सोक धाम तजि काम॥

दोहावली, तुलसीदास जी

कामना पूर्ति का एकमात्र उपाय

कामना पूर्ति पर सुविचार

आप अपने आचरण सुधार लें, ख़ान-पान सुधार लें और अगर आप थोड़ा भी राम, कृष्ण, हरि या जो भी भगवान का नाम आपको प्रिय हो उसका भजन करेंगे, तो आपका मंगल होगा। हम बस अपने गंदे आचरण छोड़े बिना किसी संत को कुछ देकर अपना काम बनाना चाहते हैं, पर यहाँ घूस नहीं चलती। आपको नियम से चलना होगा। आप शराब पियें, मांस खायें, पराई माता-बहनों से व्यभिचार करें, चोरी-हिंसा करें और सोचें कुछ धन-दान करके आपकी कामना की पूर्ति हो जाये, तो ऐसा नहीं होगा। कोई आपकी कामना पूरी करने में समर्थ नहीं है। केवल भगवान ही यह कर सकते हैं। चाहे आपने कितने ही पाप किए हों, भगवान की शरण ले लीजिए।

अगर आपको संतों के पास जाने का लाभ लेना है, तो श्री हरि की शरण में हो जाएँ, बुरे आचरण बंद कर दें, और नाम जप करें। इससे आप जो चाहेंगे वो आपको प्राप्त हो जाएगा। जब आप नाम जप शुरू करेंगे तो वह पहले उन बुरे कर्मों को नष्ट करेगा जो आपने पहले किए हैं। वही कर्म आपको वर्तमान में दुख देने के लिए तैयार बैठे हैं। इसलिए थोड़ा समय लगता है क्योंकि हमारे पापों के पहाड़ बाक़ी हैं। पर मनुष्य सोचता है कि मैं इतने दिन से माला जप रहा हूँ लेकिन कोई लाभ तो मिल नहीं रहा। ऐसा नहीं है कि कुछ नहीं हो रहा, आपके दुखों का नाश हो रहा है, पर आप जान नहीं पा रहे। जिस दिन आपने उन सबको मिटा दिया, तो फिर आपको जो आनंद मिलेगा, आप कृतार्थ हो जाएँगे।

अच्छे कर्म करने का परिणाम

सुखी रहने के लिए गंदे आचरण छोड़ें

सुदामा जी एक-एक चावल के लिये तरसते थे लेकिन वो धर्म भ्रष्ट नहीं हुए। जब वो घर आते थे तो उनकी पत्नी कहतीं कि हम दोनों तो भूखे रह सकते हैं पर ये छोटे बच्चे कैसे भूखे रहेंगे? उन्होंने कहा जैसा हरि रखें, हम वैसे रहेंगे लेकिन अपने धर्म का पालन करेंगे। वो तुलसी के पत्ते और चरणामृत लेकर जीवित रहते थे। इसी वजह से ठाकुर जी ने जैसी द्वारकापुरी थी वैसी ही सुदामापुरी भी खड़ी कर दी। इसलिए आप भी धर्म से चलें और इंतज़ार करें। अगर मंगल है, तो वो एकमात्र भगवान के भजन में हैं। किसी का आशीर्वाद आपको नहीं बचा सकता। आपके आचरण ही आपको बचा सकते हैं।

अगर आप गलत करते हैं तो आपको कोई नहीं बचा सकता। अगर आप सही चलते हैं तो आपको कोई नहीं मिटा सकता। क्योंकि भगवान वहीं देख रहे हैं जहाँ आप हैं। आप अपने आप को सुधार लीजिए, अपने आचरण पवित्र कीजिए और नाम जप कीजिए। आप दीपक की तरह जलेंगे लेकिन लंबा चलेंगे। ग़लत आचरण कर आप हैलोजन बल्ब की तरह एक दिन फ्यूज हो जाएँगे। ग़लत आचरण करके जैसे किसी के पास फटाफट गाड़ी आई, फटाफट रुपया पैसा आया और फिर एक दिन पूरा परिवार एक्सीडेंट में मारा गया। ग़लत आचरण ऐसे ही आपको तेज़ी से ऊपर ले जाएँगे और उसी ऊँचाई से नीचे फेंक देंगे। आप धर्म से चलें, शायद आप एक सादा जीवन जियेंगे पर आपका परिवार स्वस्थ रहेगा और आपके घर में शांति बनी रहेगी। आप धीरे-धीरे उन्नति कर लेंगे। भजन करें और सत्य से चलें।

पाखंड से बचें, प्रभु का आश्रय लें !

खुश रहने के लिए भगवान का नाम जपें

किसी के आशीर्वाद की इच्छा ना करें। अगर आप सही आचरण और नाम जप करेंगे तो सबकी कृपा आपके ऊपर होगी। किसी से कुछ माँगने की जरूरत नहीं है। जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करहिं सब कोई। हरि के चरणों का आश्रय लें। जिनके चरण चिंतन करने वालों के लिए कल्पतरु के समान हैं, आप उन हरि चरणों का चिंतन कीजिए। कोई विपत्ति आपको परास्त नहीं कर सकती। विपत्ति आएगी, पर आपको परास्त नहीं कर पाएगी। हरि चरणों का चिंतन करें। जिन चरणों की लक्ष्मी जी स्वयं हर समय पूजा करती हैं, उन चरणों का आप चिंतन करेंगे तो आपके पास लक्ष्मी की कमी रहेगी क्या?

पर हम भगवान से नहीं, हम अधर्म से सुख चाहते हैं, इसलिए हमारी दुर्दशा हो रही है। आपकी जो भी नौकरी है, परेशानी है या बीमारी है, यह सब भगवान की सृष्टि का ही हिस्सा है। आप उन मालिक की तरफ दृष्टि करें और उनसे प्रार्थना करें। पिता को बच्चों से कुछ लेने की जरूरत नहीं होती, पिता को बस जरूरत होती है कि पुत्र बस पिता का अनन्य बना रहे। प्रभु कहते हैं, मेरे अनन्य हो जाओ, तुम्हारा सब काम बन जाएगा।

निष्कर्ष

हमारी प्रार्थना है आपसे, मन लगे ना लगे, राधा-राधा जपें। दवाई जैसे हमारा स्वाद बिगाड़ देती है, हमें अच्छी नहीं लगती, पर हम दवा खाते हैं तो रोग निवृत्ति हो जाती है, ऐसी ही राधा-राधा जपें, हरि-हरि जपें, आपका मंगल हो जाएगा। यह नाम आपको बचा लेगा, यह आपका मंगल कर देगा। शराब ना पियें, मांस ना खायें, गंदी बातें ना देखें और व्यभिचार ना करें, धर्म से रहें, आप सुखी हो जाएँगे। कुछ पीछे के कर्म आकर आपको दुख देने की कोशिश करेंगे, आप भगवान की शरण में हैं तो वो आपको बचा लेंगे। वही हमें बचा सकते हैं, दूसरा कोई नहीं। हमें चाहिए कि हम भगवान का भरोसा रखें। उनके ही चरणों का आश्रय लेने से हमारी सारी कामनाएँ पूर्ण होंगी।

मार्गदर्शक: श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज

पूज्य श्री हित प्रेमानंद जी महाराज कामना पूर्ति पर मार्गदर्शन करते हुए

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