पूज्य महाराज जी ने बताया है कि काम वासना और इस संसार के ताप को शांत करने के लिए हमें श्री राधासुधानिधि जी के श्लोक 150 का 108 बार जप करना चाहिए। आप आगे बढ़ने से पहले इस श्लोक की महिमा पूज्य महाराज जी द्वारा नीचे दिए हुए वीडियो में सुन लें।
नीचे हमने संस्कृत और English में यह श्लोक आपकी सुविधा के लिए दिया है। इसके साथ इस श्लोक की ऑडियो भी पूज्य महाराज जी की आवाज़ में दी गई है। यह ऑडियो तब तक चलता रहेगा जब तक आप इसे बंद नहीं करते। अगर आप काम वासना पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं या आप इस जीवन की प्रतिकूलताओं के ताप से परेशान हैं, तो हर दिन इस श्लोक का 108 बार पाठ करें। अगर आप इस ऑडियो के साथ जप करते हैं तो आपको 108 बार जप करने में लगभग 20 मिनट लग सकते हैं।
सदानन्दं वृन्दावन नवलता मन्दिरवरे – श्री राधासुधानिधि जी – श्लोक 150
सदानन्दं वृन्दावन नवलता मन्दिरवरे
ष्वमन्दैः कन्दर्पोन्मद रतिकला कौतुक रसम्।
किशोरं तज्ज्योतिर्युगल मतिघोरं मम भवं
ज्वलज्ज्वालं शीतैः स्वपद मकरन्दैः शमयतु।।
Sadanandam Vrindavan Nav Lata Mandir Vare – Shri RadhaSudhaNidhi Ji – Shloka 150
Sadanandam Vrindavan Nav Lata Mandir Vare
Shvamandaih Kandarponmad Ratikala Kautuk Rasam
Kishoram Tajjyotir Yugal Mati Ghoram Mam Bhavam
Jvalajjvalam Shitaih Svapad Makarandaih Shamayatu
इस श्लोक का अर्थ कुछ इस प्रकार है (अगर आपको अर्थ समझ नहीं भी आया, तो भी इसके जप का आपको पूरा फल मिलेगा):
सदा आनन्द से परिपूर्ण श्रीवृन्दावन के नवीन लता मन्दिर में महाप्रेम रूपी (काम) मद से उन्मत्त बनी हुई, रति कला पूर्ण आश्चर्यमय रसरूप वह किशोर युगल ज्योति अपने चरण कमलों के अत्यन्त शीतल मकरन्द रस से अत्यन्त भयानक और प्रचण्ड ज्वालापूर्ण मेरे भव-सन्ताप (सांसारिक कष्ट) को शमन करे ।
मार्गदर्शक: पूज्य श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज