यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है क्योंकि इस पीढ़ी के बच्चे चरित्र विकास के महत्व को नहीं समझ पा रहे। बॉयफ्रेंड, गर्लफ्रेंड, ब्रेकअप, फिर दूसरा बॉयफ्रेंड, दूसरी गर्लफ्रेंड, ये सब क्या है? यह चरित्र हीनता है। यही है आधुनिक समाज? यदि आप अपने मन, इंद्रियों और शरीर को प्रदूषित करेंगे तो आप जीवन में प्रगति कैसे करेंगे? गृहस्थ जीवन (विवाह) का निर्वाह कैसे करेंगे? प्रवृत्ति इतनी दूषित होने के बाद आप किसी को अपने पति/पत्नी के रूप में कैसे स्वीकार कर पाएंगे?
हमने अपने समय में कभी तलाक शब्द सुना ही नहीं था। माता-पिता अपने बच्चों की शादी अच्छे से कराते थे और नव विवाहित दंपति जीवन भर के लिए एक-दूसरे को अपना जीवन साथी स्वीकार कर लेते थे। ऐसे विवाहों से पैदा हुई संतानें देश की सेवा करतीं थी। और आजकल क्या हो रहा है? माता-पिता से कोई संबंध नहीं, अगर वे कोई सवाल पूछें तो उन्हें अपमान पूर्ण जवाब मिलता है, और अगर वे बच्चों को डांटने की कोशिश करते हैं तो वे कहते हैं कि या तो मैं घर छोड़ के चला जाऊंगा या आत्महत्या कर लूंगा। इसके बाद कहने को क्या रह जाता है?
हमारी नई पीढ़ी किस दिशा में जा रही है?
आज की नई पीढ़ी बहुत ही गलत राह पर जा रही है। छोटे बच्चे नशीले पदार्थों का सेवन करने लगे हैं। हमारे स्कूल के समय में, गर्लफ्रेंड/बॉयफ्रेंड शब्द थे ही नहीं; उस समय मोबाइल फोन का आविष्कार भी नहीं हुआ था। गाँवों के सीधे-साधे बच्चे स्कूल से आकर अपने घरों में खेलते और खाते पीते थे। जीवन पवित्र था।आज के समय में शादी के लिए कोई शुद्ध और धर्मनिष्ठ व्यक्ति मिलना मुश्किल है। केवल भगवान स्वयं आपके लिए ऐसा कोई भेज सकते हैं। अन्यथा यदि आपको ऐसा जीवनसाथी मिल जाये तो यह आपकी तपस्या, पवित्रता और भक्ति का ही प्रमाण होगा। आज के समय में हमारा समाज पतन की ओर जा रहा है।
आजकल कौन शराब नहीं पीता, कौन व्यसन रहित है, कौन व्यभिचार रहित है और संयम से चलता है? अगर कोई है भी तो लाखों में से कोई एक ही होगा जो केवल अपनी पत्नी या अपने पति से प्यार करता है। ऐसा पति या पत्नी तो केवल भगवान ही दे सकते हैं। इसका निर्णय तो इसी से होगा कि आप कितने तपस्वी हैं, कितनी पूजा करते हैं और आपने कितना पुण्य कमाया है।
चरित्र का महत्व
हमे तभी कोई बेहतर मिल सकता है जब हम स्वयं अच्छे हों। यदि आप नैतिकता का पालन नहीं कर रहे हैं, तो आपको ऐसा जीवनसाथी नहीं मिल सकता। हालाँकि, यदि आपका आचरण सात्विक है, तो भगवान ने अवश्य आपके लिये व्यवस्था की होगी। जिसका चरित्र अच्छा नहीं है वह कुछ भी नहीं कर सकता। चार दिन की चाँदनी के बाद, अंधेरी रात उसका इंतज़ार कर रही है।
यदि आपका चरित्र अच्छा नहीं है, तो आप कुछ दिनों के लिए चमकेंगे और हैलोजन बल्ब की तरह फ्यूज हो जायेंगे। यदि आपका चरित्र अच्छा है, तो आप तेल के दीपक की तरह चमकेंगे, लेकिन आपकी प्रसिद्धि, सुख और समृद्धि लंबे समय तक बढ़ती रहेगी। अगर हम खुद में सुधार करें तो समाज सुधारा जा सकता है।
लिव इन रिलेशनशिप
आजकल एक और चीज़ चलन में आ गई है जिसे लिव इन रिलेशनशिप कहा जाता है। महीने-दो महीने साथ रहना और फिर कहना कि हमें यह इंसान पसंद नहीं है। क्या यही हमारे संस्कार और सिद्धांत हैं? दो शरीर मिल रहे हैं और फिर कुछ देर बाद कह देते हैं कि नहीं, हमें यह इंसान पसंद नहीं है। ये किस और बढ़ चला है हमारा समाज? हम पतन की दिशा में जा रहे हैं। प्रगति के नाम पर हम गिरते जा रहे हैं। जिसे देखो उसके अंदर में गुस्सा, लड़ाई-झगड़ा करने की प्रवृत्ति और दोष ही नजर आते हैं। बच्चे अपने माता-पिता से इतने रूखेपन से बात करते देखे जाते हैं कि आश्चर्य होता है कि ये जीवन में क्या प्रगति करेंगे? यदि आप शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं तो आपके अंदर विनम्रता आनी चाहिए, पवित्रता आनी चाहिए; आज के बच्चों में यह राक्षसी बुद्धि कैसे आ रही है?
मेरा हर माता-पिताओं से अनुरोध है कि अपने बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार करें। उन्हें यह समझाने की कोशिश करें कि आप जिस दिशा में जा रहे हैं वह गलत है। इससे जीवन पूर्णतया बेकार एवं नष्ट हो जायेगा। आपमें यह सब करने के बाद क्या शादी को लेकर कोई उत्साह बाक़ी रहेगा? जब आपने अपनी भावनाओं को गंदा कर लिया है तो एक महान समाज का निर्माण कैसे होगा? मेरा सभी बच्चों से अनुरोध है कि वे सावधान रहें। सभी माता-पिताओं से मेरा अनुरोध है कि किसी तरह हमारे नए बच्चों के दिमाग में यह बात डालें कि ब्रह्मचर्य को नष्ट करना जीवन को नष्ट करने के बराबर है। चरित्र को नष्ट करना जीवन को नष्ट करना है। यह बुनियाद है; चरित्र न हो तो महल नहीं बन सकता। चरित्र के बिना जीवन का कोई आधार नहीं है।
निष्कर्ष
अपना जीवन पवित्र रखें। ब्रह्मचर्य से याददाश्त मजबूत होती है और शरीर का विकास होता है। गृहस्थ जीवन ईश्वर प्राप्ति का मार्ग है। अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए भगवान का नाम जपें; भगवान प्रसन्न होकर हमें इस अपवित्र जीवन से मुक्त कर देंगे। भगवान का नाम चमत्कार कर सकता है, इसमें सभी दुखों के निवारण की शक्ति है। इसीलिए, नाम का जप करें, और भगवान पर भरोसा रखें; यह संसार दुःखमय है। आप इसे अभी तक नहीं समझ पाए हैं और इसीलिए आप सांसारिक सुखों में आनंद ढूँढ रहे हैं। सही आचरण करें, भगवान से क्षमा माँगे और नाम का जप करें; सारे दुःख मिट जायेंगे।
मार्गदर्शक: श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज जी