अपनों को खोने का डर बना रहता है, क्या करूँ ?

by Shri Hit Premanand Ji Maharaj
अपनों को खोने का डर

अपनों के स्वरूप को आपने जाना नहीं, केवल उनके शरीरे को ही तो अपना माना है। आप अपने परिवार को कुछ सालों से ही जानते हैं, ये पहले किसी का नहीं था और कुछ समय बाद भी ये किसी का नहीं रहेगा। बीच में कुछ समय के लिए बस ये आपका है, अब चाहिए तो आप इससे भगवान को गाली दें या उनकी जय-जय कार करें। आपका शरीर एक सरकारी ऑफिस की तरह है, जिसमे आप अभी कार्यरत हैं। जैसे ही आपका ट्रांसफ़र होगा, तो आपको ये शरीर रूपी ऑफिस छोड़नी पड़ेगी और साथ ही साथ इस ऑफिस को भी नष्ट कर दिया जाएगा। इसमें परेशान क्या होना है, यह शरीर तो जाना ही है।

महाराज जी ने क्यों छोड़ा छोटी उम्र में अपना घर?

यही बात मेरे मन में भी आई थी। तब मैं पाँचवी कक्षा में पढ़ता था। मुझे लगा कि किसी ना किसी दिन मेरी माँ और पिताजी मर जाएंगे! कोई भी यहाँ टिकाऊ नहीं है, सब मरने वाले हैं। मुझे लगा कि मैं किस से अपनापन करूँ? हर कोई नष्ट होने वाला है। कोई भी, कभी भी मर सकता है। कोई तो ऐसा होना चाहिए जिससे मैं प्यार करूँ और वह सदैव मेरे पास रहे। तब समझ आया कि एकमात्र भगवान के सिवा और कोई ऐसा नहीं। तेरह वर्ष की उम्र में मैंने घर छोड़ दिया और भाग पड़ा भगवान की तरफ।

प्रेमानंद महाराज घर से भाग गए

कौन है आपका अपना?

अगर आपको यह बात चुभ रही है कि यहाँ कोई अपना नहीं, सबसे वियोग होगा ही, तो जान लीजिए कि सबके अपने हैं श्यामा-श्याम। पकड़ के देख लीजिए, कभी अनंत काल में भी उनसे आपका वियोग नहीं होगा, क्योंकि वो अविनाशी हैं और आप भी अविनाशी हैं। आपका शरीर विनाशी है, लेकिन आप ख़ुद अविनाशी हैं। अविनाशी श्यामा-श्याम को अपना मान लीजिए। उनको अपना जो चाहिए मान लीजिए, वह तो बड़े कृपालु हैं। कोई उनको बहन मानता है, कोई बेटी मानता है, कोई स्वामीनी मानता है, कोई सखा मानता है, कोई पिता मानता है और कोई पति मानता है। बस इनको अपना मान लीजिए तो आपके सारे प्रश्न ख़त्म हो जाएँगे। यहाँ कोई अपना नहीं है, सब सपना है।

भगवान श्री कृष्ण

पता नहीं कब तक ये शरीर रहे, इसका कोई भरोसा नहीं। यह शरीर पानी के बुलबुले की तरह है, पता नहीं कब फूट जाए, इसका कोई भरोसा नहीं। लोग झूठ कहते हैं कि हमारा जन्मों जन्मों का संबंध है, ना तो आप ख़ुद को जानते हैं, ना ही किसी दूसरे को, तो संबंधी कैसे हो गए! आप केवल शरीर को जानते हैं। शरीर तो कुछ वर्षों के लिए मिला है, कभी भी मिट जाएगा। तो संबंध किसका रहा? जनम-जनम का संबंध केवल हमारा और प्रभु का है। पिछले जन्म में भी हमारे माता, पिता, पत्नी, पुत्र थे, क्या हमें कुछ याद है उनके बारे में? इसी जन्म में हम अपनी माता के गर्भ में नौ महीने रहे, क्या आपको उसके बारे में  कुछ याद है ? सच तो यह है कि कोई हमारा नहीं है, यह बात जब समझ आ जाएगी तो आप सच्चे भजन करने वाले भक्त बन जाएँगे।

किस से अपनापन करें?

आपके सच्चे दोस्त केवल श्री कृष्ण हैं। दोस्ती करके देखिए, ये ऐसा प्यार करने वाले दोस्त हैं जो अनादि काल से अनंत काल तक आपके साथ रहेंगे और आपकी गलतियों पर भी वो कभी नजर नहीं डालेंगे। आगे बढ़िए भगवत् मार्ग में, तभी यह बात समझ में आएगी। यहाँ जो कुछ भी है, सब बिछुड़ने वाला है, कुछ आपके साथ नहीं जाएगा। अपने ख़ुद के शरीर को ही देख लीजिए, एक समय था जब हम अपने को बच्चे थे, फिर जवान हुए और फिर बुढ़ापा आएगा। यह शरीर भी हमारा नहीं हो रहा, एक समय आएगा जब यह छूट जाएगा। जब यह शरीर ही हमारा नहीं हो रहा, तो और कोई कैसे अपना हो सकता है?

भगवान कृष्ण और श्री राधा

हर कोई प्रेम ढूँढ रहा है। सबके हृदय में खोजे हैं कि कोई तो हमें ऐसा साथी मिले, जिसकी गोद में हम सिर रखकर, निश्चिंत होकर सो जाएं। श्री राधा के चरणों का आश्रय ले लीजिए, आप निश्चिंत हो जाएँगे। राधा राधा जप करें। श्री राधा से अपनापन करें, जो सुदर्शन चक्र श्री कृष्ण अपने हाथ में रखते हैं वो उनके चरणों में विराजमान है। अनंत शक्तियाँ श्री राधा  के चरणों में हैं, जिनसे वह अपने जनों की रक्षा करती रहती हैं। जब आप ऐसी महामहिम महारानी को अपना मान लेंगे, तो छाती फुलाकर घूमेंगे, जीवन में कोई परेशानी बाक़ी नहीं रह जाएगी।

मृत्यु कभी भी आ सकती है, अब और देर ना करें!

समय निकलता जा रहा है

आपको मृत्यु लोक में अपना कल्याण करने के लिए भेजा गया है, भगवतप्राप्ति करने भेजा गया है। आपका अंतिम समय कब आ जाए, कुछ पता नहीं। हम कितने बेपरवाह हैं, मूर्खता से अपना समय नष्ट कर रहे हैं। एक मृत्यु का भय संपूर्ण सुखों को रौंद सकता है। अगर आपको पता चल जाए कि कल दिन में आपकी मृत्यु होगी, तो क्या इसके बाद आपको संसार का कोई भी सुख अच्छा लगेगा? आपको जिस काम के लिए यहाँ भेजा गया है (भगवतप्राप्ति), उस पर ध्यान दीजिये। राधा-राधा जपें, इसी से आपको शांति और आनंद, दोनों मिल जाएँगे।

मार्गदर्शक – पूज्य श्री हित प्रेमानंद जी महाराज

श्री हित प्रेमानंद जी महाराज अपनों को खोने के डर पर मार्गदर्शन करते हुए

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