ब्रह्मचर्य एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। आजकल के युवाओं को इस विषय में न तो माता-पिता ठीक से समझा पाते हैं और न ही शिक्षक। डॉक्टरों से सलाह लेने पर भी अक्सर गलत मार्गदर्शन मिलता है। कई डॉक्टर यह कह देते हैं कि हस्तमैथुन से तनाव कम होता है और शांति मिलती है, जो कि पूरी तरह से गलत है।
सोचिए, उस व्यक्ति की हालत क्या होगी जो दिन में चार बार हस्तमैथुन करता हो! अभी तो आपकी जवानी है, इसलिए शरीर सब सहन कर रहा है, लेकिन आगे चलकर आंखों की रोशनी कमजोर हो जाएगी, कमर में दर्द रहने लगेगा, और जोड़ों में पीड़ा शुरू हो जाएगी।
इच्छा पूर्ति का सही मार्ग

अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए विवाह करना, गृहस्थ जीवन अपनाना, संतान उत्पन्न करना और संयम से रहना ही उचित मार्ग है। हम मनुष्य हैं, हमें पशुओं जैसा आचरण नहीं करना चाहिए। यदि अभी सुधर जाओ तो जीवन सँवर सकता है, नहीं तो पूरा जीवन बर्बाद हो जाएगा। यह ऐसी आदत है जो एक बार पकड़ में आ जाए तो जीवनभर पीछा नहीं छोड़ती। लाख बार संकल्प करने पर भी इसे छोड़ना कठिन हो जाता है। यह बुरी आदत शरीर को भीतर से नष्ट कर देती है।
स्त्री-पुरुष का उचित संयोग अपनी मर्यादा और धर्म के अनुसार होना चाहिए। जैसे यदि आप पंद्रह-बीस वर्ष ब्रह्मचर्य का पालन करें, फिर विवाह करें, तो विवाह की भी एक मर्यादा होती है। धर्म के अनुसार चलने से भोगों में भी अरुचि उत्पन्न हो जाती है। गृहस्थ जीवन में यदि दो व्यक्ति हों और उनमें से एक संयमी हो, तो दूसरा भी धीरे-धीरे सुधर सकता है। परंतु इस ग़लत आदत में आप अकेले ही हैं। जब सुख की इच्छा जागी तो आपने एक ही दिन में चार बार वीर्य का नाश कर डाला! गृहस्थ जीवन में महीने भर में एक बार संयमित रूप से संयोग करने से स्वास्थ्य बना रहता है और संतान भी धर्म पूर्वक उत्पन्न होती है। इस ग़लत आदत में फँसना जीवन को पूरी तरह बर्बाद करना है।
समय रहते संभल जाओ!

अगर आप स्वयं छोड़ना चाहें तो अभी भी कुछ संभावना है, पर पूरी संभावना नहीं। यदि आपने दिन में चार बार हस्तमैथुन करने की आदत बना ली है, तो भले ही अब न भी करें, फिर भी सोते समय स्वप्नदोष होने लगेगा। यह ऐसा रोग है जिसकी कोई औषधि नहीं है — केवल आपकी स्वयं की इच्छा शक्ति ही इसका उपचार है। केवल आप स्वयं इसे सुधार सकते हैं। धीरे-धीरे नियम बनाइए कि इस ग़लत कार्य को नहीं करना है। यदि स्वप्नदोष हो भी जाए तो उसे सहज भाव से सहें। धैर्य रखें, खानपान सुधारें, रोज़ दंड-बैठक करें, चार-पाँच किलोमीटर दौड़ें, शरीर को थकाएँ। कोई भी नशा न करें।
मोबाइल पर कामोत्तेजक वीडियो देखना

आजकल बच्चे स्मार्टफोन पर अश्लील दृश्य देखते हैं। आप जो देखेंगे और जिस पर मनन करेंगे, मन उसी दिशा में उत्साहित होगा। जब मन भोगों की ओर आकर्षित होता है तो व्यक्ति व्यभिचार या हस्तमैथुन जैसे पापों में फँस जाता है और अपना नाश कर लेता है। यह समस्या केवल पुरुषों के लिए नहीं, बल्कि जो भी इस ग़लत आदत का शिकार होगा, वह नष्ट होगा। फिर उनमें न संतान उत्पन्न करने की क्षमता रहेगी और न उनके पालन-पोषण की।
वीर्य-संरक्षण: जीवन शक्ति की रक्षा

हमारे शरीर में ऊर्जा सीमित है। जैसे वाहन में पेट्रोल खत्म होने पर उसे फिर से भरना पड़ता है, वैसे ही हमारे शरीर में चालीस किलो भोजन पचने के बाद एक बार संतान उत्पत्ति योग्य वीर्य बनता है। अब सोचिए, जब आप दिन में चार बार हस्तमैथुन कर रहे हैं, तो आपके शरीर की क्या हालत होगी! आपकी संचित शक्ति धीरे-धीरे शरीर से निकलती जाएगी।
हस्तमैथुन से बचने के लिए नाम जप और व्यायाम अनिवार्य!

इसलिए सावधान हो जाइए। हर दिन नाम जप कीजिए। उम्र चाहे जो भी हो, व्यायाम अनिवार्य है। प्रतिदिन कम से कम दस-पंद्रह मिनट व्यायाम करें। वृद्ध हों तो दो किलोमीटर पैदल चलें, जवान हों तो पाँच किलोमीटर दौड़ें। आप प्रतिदिन भोजन कर रहे हैं, बिना व्यायाम किए भोजन पचेगा नहीं। व्यायाम करने से आपके भीतर की ग़लत इच्छाएँ भी शांत हो जाएँगी।
सौ दंड बैठक लगाइए, पाँच किलोमीटर दौड़ लगाइए, शरीर थकाइए। याद रखें — आप इतना व्यायाम तभी कर पाएँगे जब वीर्य का संरक्षण होगा, और वीर्य का संरक्षण तभी होगा जब आप व्यायाम करेंगे। यदि आप घर में बैठे-बैठे मनमाने भोजन कर रहे हैं और मोबाइल पर अश्लील दृश्य देख रहे हैं, तो आपका ग़लत आदतों में फँसना निश्चित है।
मार्गदर्शक: श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज