आज की नई पीढ़ी को ब्रह्मचर्य और धर्म की शिक्षा सही से नहीं मिल पा रही है। हर क्रिया उन के लिए मनोरंजन है। जैसे कई गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बदलते रहना अब साधारण बात है। विवाह होने तक कोई पवित्रता नहीं रह जाती और उनका अभ्यास पूरी तरह से बिगड़ चुका होता है। धर्म शास्त्रों में बताई गई मर्यादा को वो जान ही नहीं पाते।
आधुनिक समाज में धार्मिक और नैतिक शिक्षा का अभाव
पुरुष स्त्री का आपस में मित्र बनना कोई दोष नहीं हैं, लेकिन मित्रता में पवित्र भाव से अपनी सीमा में रहना असंभव सा है। बड़े-बड़े साधक भी जितेन्द्रिय होने में चूक कर जाते हैं। अब जिन बच्चों की आदतें पहले से ख़राब हो चुकी हों उन के लिए विवाह के पश्चात उन आदतों को रोक पाना बहुत ही कठिन है। आपका जीवनसाथी चाहे कितना भी अच्छा हो, पर यदि आपका स्वभाव मनोरंजन का बन चुका है, तो वो आपको मर्यादा में रहने नहीं देगा।
जीवनसाथी के सुधार की दिशा में पहला कदम
आप अपने जीवनसाथी को तभी सुधार पाएँगे जब आप स्वयं पवित्रता का पालन करते हों और कोई भ्रष्ट आचरण ना कर रहे हों। अगर आपको पता चल जाए कि आपका जीवनसाथी धर्म विरुद्ध आचरणों में पड़ गया है या उसका किसी और के साथ अवैध संबंध है तो सबसे पहले आपको उसे प्यार से समझाते हुए सँभालना चाहिए। यदि आप स्वयं ग़लत आचरण नहीं करते, तो अपने जीवनसाथी को प्यार और दुलार से उसकी क्रिया के परिणाम से अवगत करवाएँ और सँभालने की चेष्टा करें। पति को धोखा देने वाली जो स्त्री पराए पुरुष से रति करती है, वह सौ कल्प तक रौरव नर्क को प्राप्त होती है।
पति वंचक पर पति रति करई।
रामचरितमानस
रो रो नरक कल्प सत्त परई।।
पति को अपनी पत्नी की आवश्यकताओं को समझना चाहिए और उसकी इच्छाओं को महत्व देते हुए प्यार से अपनी बात रखनी चाहिए। उसे प्रयास करना चाहिए कि आपसी रिश्ते में जो समस्या हो उसे धर्म पूर्वक ठीक किया जाए। अगर शरीर का कोई अंग ख़राब हो जाए तो उसे औषधियों के द्वारा ठीक करने की कोशिश की जाती है। लेकिन जब ऐसी परिस्थिति आ जाए कि उससे पूरे शरीर में सड़न हो जाए तो उसे कटवा देना चाहिए।
तलाक और धार्मिक पथ का चयन
एक सीमा तक समझाने के बाद भी अगर पत्नी प्रमाद वश धर्म को ना माने और ग़लत आचरण करती रहे तो पति को अपने धर्म के रास्ते को चुनते हुए अलग हो जाना चाहिए। सरकार द्वारा तलाक़ की व्यवस्था है जिस के अंतर्गत पति को अपना पक्ष साबित करते हुए अपनी पत्नी से संबंध ख़त्म कर लेना चाहिए। किसी भी तरह का दंड जैसे हिंसा, मारपीट आदि से पत्नी को प्रताड़ित करने का अधिकार पति को नहीं है।
व्यभिचारी के लिए प्रायश्चित का उपाय
भजन बल से किसी भी गलती को सुधारा जा सकता है। और गलती किसी से भी हो सकती है।अगर पति के प्यार से समझाने पर पत्नी धर्म का आश्रय ले और नाम जप करे तो नाम जप से उसका कल्याण हो जाएगा।
पत्नी भजन करते हुए ये निश्चय करे कि स्वभाव वश जो गलती हुई, अब से दोबारा नहीं करूँगी। उसी समय से वो भगवत् शरणागत होते हुए पवित्र मानी जाएगी। पति को चाहिए कि पुरानी बातों का ध्यान करते हुए कभी भी उसका अनादर ना करे और उसे भरपूर प्यार दे। प्यार में बहुत सामर्थ्य है, इस से किसी को भी अपने भाव के अधीन किया जा सकता है। पति को चाहिए के पत्नी की हर वृत्ति को प्यार और अपनेपन से पूर्ण करे। इस प्रयास से हो सकता है कि पत्नी का स्वभाव पूरी तरह बदल जाए और वो सत्मार्ग पर चलने लगे।
प्रश्न: यदि पत्नी किसी और पुरुष से रति करे तो उस स्थिति में पति क्या करे ? और पत्नी के लिए क्या प्रायश्चित बनता है?
मार्गदर्शक: श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज