बुरे कर्मों का फल बुरा ही होता है: दो लालची किसानों की कहानी

by Shri Hit Premanand Ji Maharaj
बुरे कर्मों का फल बुरा ही होता है

दो भाई थे। वे दोनों किसानी का काम करते थे। उनकी गृहस्थी किसानी के कार्य से चलती थी। उनके पास दो बैलों की जोड़ियाँ थीं। उन्होंने सोचा कि एक बैलों की जोड़ी से उनका काम चल जाएगा और वे दूसरी जोड़ी कुछ धन प्राप्त करने के लिए बेच देंगे।

एक दिन बैलों के व्यापारियों को पता चला कि गांव में दो किसानों के पास बैलों की एक बहुत सुंदर जोड़ी है, जो वे बेचना चाहते हैं। व्यापारी उन दो किसानों के पास आए और उन्होंने बारह हज़ार रुपयों में उनसे बैलों की जोड़ी खरीदने का सौदा तय किया। उन व्यापारियों के पास पैसों से भरा एक थैला भी था। संध्या का समय था, तो व्यापारियों ने उन किसानों से एक रात उनके यहाँ रुकने का आग्रह किया। व्यापारियों ने कहा कि कल सुबह हम आपको बारह हज़ार रुपये देंगे और बैल लेकर चले जाएंगे। आज रात हम आपकी शरण में हैं, आप हमारी और हमारे धन की रक्षा कीजिए।

अब ये दोनों अतिथि भी थे और शरणागत भी थे। अगर कोई आपकी शरण में आया है, तो चाहे आपको अपने प्राणों की बलि चढ़ानी पड़े, लेकिन उसकी हानि नहीं होनी चाहिए। शरणागत की हानि नहीं होनी चाहिए। अगर उसकी हानि हो गई, तो आपको नरकों में सज़ा मिलेगी और यहाँ सरकार द्वारा भी दंड मिलेगा। शरणागत का त्याग और शोषण बहुत बड़ा पाप है।

व्यापारियों की मारने और उनका धन लूटने की साज़िश

व्यापारियों की मारने और उनका धन लूटने की साज़िश

उन किसानों ने रात में उन व्यापारियों को अच्छा भोजन खिलाया और घर के बाहर बरामदे में सोने को कह दिया। अब दोनों किसानों ने अपनी पत्नियों के साथ मिलकर सोचा कि अगर इन दोनों व्यापारियों को मार दिया जाए, तो बैल भी नहीं देने पड़ेंगे, बारह हज़ार रुपये तो मिलेंगे ही, और इनके थैले में रखे हुए और भी पैसे हमें मिल जाएंगे। यह भाव सर्वनाश करने वाला है, क्योंकि वे दोनों उनके शरणागत और अतिथि थे। यह एक महत् पाप है और यह तत्काल लोक-परलोक दोनों को नष्ट कर देता है। यह पाप तुरंत प्रभाव दिखाता है।

उनके हृदय में हत्या करने का पूरा विचार बन गया। उनकी पत्नियों ने उन्हें पहले लाश गाड़ने की व्यवस्था करने को कहा। उन किसानों ने कहा कि बगल में हमारा गन्ने का खेत है और हम दोनों व्यापारियों को मारने के बाद एक ही गड्ढे में गाड़ देंगे। हम उन दोनों के नाप का गड्ढा खोदकर अभी आते हैं। वह अतिशीघ्र गन्ने के खेत में जाकर गन्ना काटकर गड्ढा खोदने लगे।

किसान गन्ने के खेत में गड्ढा खोद रहे हैं

पड़ोसी ने दिया दख़ल

दैवीय योग से उनके पड़ोसी को उसी समय शौच लगी। उसने सोचा बगल में ही गन्ने का खेत है, यही शौच कर लेता हूँ। पहले के समय में शौचालय तो हुआ नहीं करते थे। लोग गांव के बाहर खेतों में शौच के लिए जाते थे। अब वह गन्ने के खेत में गया। उसने उन दोनों किसानों को बोलते हुए सुना कि, “क्या इतने बड़े गड्ढे में दो शव आ जाएंगे?” उसे लगा कि यह दोनों रात में क्या योजना बना रहे हैं? वह चोरी-छुपे उनके नज़दीक गया। उसने उन्हें आगे बोलते हुए सुना कि, “कहीं हमसे कोई पाप तो नहीं हो रहा?” इस पर दूसरे ने कहा, “अरे, उनके पास हजारों रुपये हैं, जो हमें आसानी से मिल सकते हैं। तुम क्या पाप-पुण्य के बारे में सोच रहे हो? हम दोनों को इसी गड्ढे में ही गाड़ देंगे।”

पड़ोसी ने दिया दख़ल

उस पड़ोसी ने यह सब सुन लिया और वह तेज़ी से उन किसानों के घर की तरफ उन व्यापारियों को बचाने के लिए भागा। उसने वहाँ जाकर दोनों को जगाया और उनसे कहा कि आप दोनों अभी मेरे साथ चलो। और जो भी तुम्हारे पास पैसा है, उसे भी ले लो। वह भगवान की प्रेरणा से उन्हें बचाने के लिए आया था, तो उन दोनों को भी उसकी बातों पर कोई संशय नहीं हुआ और वे तुरंत अपना झोला लेकर उसके साथ उसके घर चले गए।

बुरे कर्म का भयावह परिणाम

उन किसानों के बरामदे में गद्दे और रजाई वैसे ही बिछे रहे। वह पड़ोसी उन दोनों व्यापारियों को अपने घर ले गया और उनसे कहा कि इन दोनों किसानों ने तुम्हें मारकर तुम्हारा धन लूटने की योजना बनाई है। उन्होंने तुम्हें गाड़ने के लिए गड्ढा भी खोद लिया है। आज रात तुम चुप-चाप यहीं रुक जाओ।

बुरे कर्म का भयावह परिणाम

उन दोनों किसानों का एक-एक बेटा था। वे दोनों बेटे उस रात गाँव में नौटंकी देखने गए थे। उन किसानों ने बड़ा ही निकृष्ट संकल्प किया था, इसलिए इस पाप कर्म से प्रेरित होकर उन लड़कों के मन में आया कि हमें नाटक अच्छा नहीं लग रहा, यहाँ से चलते हैं। वे दोनों मस्ती से बातचीत करते हुए घर आए तो उन्होंने देखा कि बरामदे में गद्दे और रजाई बिछे हुए थे। उन्हें लगा कि शायद माता-पिता ने सोचा हो कि हम रात्रि में पता नहीं कब आएंगे, तो दरवाजा ना खोलना पड़े, इसलिए उन्होंने हमारे बिस्तर यहीं बाहर लगा दिए। यह सोचकर वे दोनों मुँह ढककर बाहर बरामदे में सो गए।

अब वो दोनों किसान गड्ढा खोदकर वापस आए और अपनी पत्नियों से कहा गड़ासा निकालो। गाँव में बिजली तो थी नहीं, तो अंधेरे में ही उन्होंने उन दोनों सोए हुए अपने ही बेटों की हत्या कर दी और उन्हें गद्दों समेत ले जाकर उस गड्ढे में गाड़ दिया। जब वो उन्हें गाड़कर वापस आए, तो उन्होंने सोचा कि वो पैसों से भरा थैला कहाँ है, जिसके लिए उन्होंने ये पूरी साज़िश रची थी। उन्हें लगा कि उन्होंने पैसे गद्दों समेत उस गड्ढे में गाड़ दिए, तो उन्होंने जाकर वापस गड्ढा खोदा और देखा कि वे दोनों शव उनके ही पुत्रों के थे। अब वो न तो चिल्ला सकते थे और न ही रो सकते थे।

दूसरों को धोखा देने का दंड

दूसरों को धोखा देने का दंड

सुबह होते ही उनका पड़ोसी उन दोनों व्यापारियों को लेकर उनके पास आया और कहा कि तुम तो बड़ी ही सुंदर योजना बना रहे थे इन दोनों को मारने और इनका लूटने की। लेकिन प्रभु की कृपा से यह दोनों भी सुरक्षित हैं और इनका पैसा भी सुरक्षित है। उसने जाकर पुलिस से उनकी शिकायत की और उन सभी को सज़ा हुई। उनके पुत्र भी मारे गए। अपने शरणागत का अहित करने का सोचने मात्र से आपका सर्वनाश हो जाएगा। अपने शरणागत को धोखा देने की वजह से उन दोनों किसानों को दंड मिला और उनका पूरा जीवन बर्बाद हो गया। यही नहीं, अपने शरणागत के साथ छल करने वाले को इस संसार में कष्ट सहने के बाद नरकों में भी सज़ा भोगनी पड़ती है

मार्गदर्शक: पूज्य श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज

पूज्य श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज बुरे कर्मों के परिणाम पर मार्गदर्शन करते हुए

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