सिद्धियाँ और चमत्कार क्या होते हैं? सिद्धियाँ कितने प्रकार की होती हैं?

by Shri Hit Premanand Ji Maharaj
सिद्धियाँ और चमत्कार क्या होती हैं?

सिद्धियों के प्रकार

1. अनुर्मि सिद्धि

उसे भूख, प्यास, शोक, जरा और मृत्यु में से कुछ भी परास्त नहीं कर सकता। चाहे जितने दिन तक भोजन न मिले, वह कभी भूख से व्याकुल नहीं हो सकता। उसे शोक, मोह, बुढ़ापा, और यहाँ तक कि मृत्यु भी दुःख नहीं पहुँचा सकते।

2. दूरश्रवण सिद्धि

इस सिद्धि को सिद्ध किया हुआ व्यक्ति लाखों कोस दूर की बात सुन लेगा।

3. दूरदर्शन सिद्धि

इस सिद्धि से कोई कहीं भी क्या हो रहा है यह देख सकता है। बह यहाँ बैठे-बैठे देख सकता है कि ब्रह्मलोक में क्या हो रहा है (इस दुनिया की बात तो फिर क्या ही करनी)।

4. मनोजव सिद्धि

जिस शरीर में चाहे उसमे प्रवेश पा सकता है। व्यक्ति मनोवेग से जहाँ जाना चाहे वहाँ पहुँच सकता है। वो किसी के हृदय में जा सकता है। वह किसी दूसरे देश में पहुँच सकता है। वह चाहे तो दूसरे लोकों में भी जा सकता है।

5. कामरूपी सिद्धि

इस सिद्धि को प्राप्त हुआ उपासक जो रूप चाहे धारण कर सकता है।

6. परकाया प्रवेश सिद्धि

इस सिद्धि से दूसरों के शरीर में प्रवेश कर पाना मुमकिन होता है। अगर चाहे तो इसे सिद्ध किया हुआ व्यक्ति किसी मुर्दे के शरीर में भी प्रवेश कर सकता है।

7. इच्छा मृत्यु सिद्धि

अगर यह सिद्धि आपके पास है तो आप जब चाहें तब शरीर छोड़ें, ना चाहें तो ना छोड़ें।

8. देवक्रीड़ानुदर्शन सिद्धि

इस सिद्धि से कोई किसी भी लोक में जो हो रहा है वह सब देख सकता है।

9. यथासंकल्प्सं सिद्धि

यह सिद्धि प्राप्त होने पर आप जैसा संकल्प करें, ठीक वैसे ही कोई भी कार्य होगा। चाहे वह जड़ वस्तु हो या चैतन्य वस्तु, उसे उस सिद्ध पुरुष के संकल्प के अनुसार ही चलना पड़ेगा।

10. अप्रतिहतगति सिद्धि

जिसके अंदर यह सिद्धि हो, उसकी आज्ञा का कोई उल्लंघन नहीं कर सकता। जो आज्ञा करेगा वो सबको करना पड़ेगा!

11. त्रिकालज्ञता सिद्धि

इस सिद्धि के प्राप्त होने पर भूत, वर्तमान और भविष्य में क्या हुआ या होगा, उसे सब पता चल जाता है।

12. अद्वंद्वता सिद्धि

इस सिद्धि से शीत-उष्ण, सुख-दुःख, मृदु-कठिन, मान-अपमान सब वश में हो जाते हैं। कोई द्वंद्व उसे परास्त नहीं कर सकता।

13. परचित्ताद्भिज्ञता सिद्धि

इस सिद्धि से दूसरे के मन में क्या चल रहा है यह जान पाना संभव हो जाता है। यहाँ तक कि किसी और ने सपने में क्या देखा यह भी जाना जा सकता है।

14. प्रतिष्टम्भ सिद्धि

अग्नि से सुरक्षित निकलता है, वायु में उड़ता है, जल पर चलता है। कोई प्रहार, विष या सूर्य की गर्मी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। शरीर दिव्य और अजेय हो जाता है।

15. अपराजय सिद्धि

कोई भी उसको (मंत्र से, तंत्र से, बल से, या किसी भी तरीक़े से) पराजित नहीं कर सकता। वह सब पर विजय प्राप्त करने का सामर्थ्य रखता है।

सिद्धियाँ कैसे मिलती हैं?

सिद्धियाँ शुद्ध भक्ति से भी मिलती हैं। जब रज-तम नष्ट होकर सतोगुण बढ़ता है, तो सिद्धियाँ स्वतः आती हैं। लेकिन सच्चे भक्त को सिद्धियाँ मोहित नहीं कर पातीं। भजन करो, सब कुछ तुम्हारे चरणों में झुक जाएगा।

क्या नाम जप से सिद्धियाँ मिलती हैं?

हाँ, नाम जप से सिद्धियाँ मिलती हैं पर साधक का लक्ष्य भगवत्प्राप्ति होना चाहिए, न कि सिद्धियाँ या चमत्कार। सिद्धियाँ आएँगी, पर बुद्धिमान साधक उन्हें अनदेखा करता है और गुरु कृपा से जो सावधान रहा, वही पार होता है।

निष्कर्ष: क्या एक भक्त को सिद्धियों और चमत्कारों के पीछे भागना चाहिए ?

हरेर्नमैव केवलम्
सत्य एक ही है — केवल हरि का नाम।

सिद्धियाँ या चमत्कार क्षणिक हैं और भगवान का नाम शाश्वत हैं। ना पाप करें, ना विकारों में बहें। राधा, राम, कृष्ण या हरि— जो नाम प्रिय हो, उसका जप करें। यही शरणागति सब कुछ ठीक कर देगी।

मार्गदर्शक: पूज्य श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज

श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज सिद्धियों और चमत्कार पर मार्गदर्शन करते हुए

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