किसी की सामर्थ्य है क्या कि हम पर प्रेत बाधा छोड़ सके? जो चाहे जिसके साथ वो कर सकता है? जगत ईश्वर रहित है क्या? हमारे ही कुछ कर्म ऐसे हो जाते हैं जिनके कारण हमें ऐसा लगने लगता है कि कोई आपको तंग कर रहा है। यह सब आपके कर्मों का ही फल है। फिल्म में जो आदमी खलनायक का रोल करता है वो सही में खलनायक नहीं होता, वो बस रोल निभा रहा है। ये दुनिया माया का एक पर्दा है। इस पर्दे में फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है कि यहाँ डायरेक्टर, एक्टर, डांसर, सब एक ही हैं, श्री कृष्ण। पहचान पाओ तो पहचान लो। आपके साथ कोई ग़लत कर रहा है, ऐसा सोच के यदि आप उनसे द्वेष करेंगे, तो आप फँस जाएँगे, आपका हृदय क्रोध से गंदा हो जाएगा। लेकिन अगर आप समझ गये कि प्रभु हमारी ज़िंदगी में इस इंसान या भूत के रूप में खलनायक बनकर आएँ हैं, तो आपको आनंद महसूस होने लगेगा, आप महात्मा बन जाएँगे।
मन से बड़ा भूत कौन?
ना कोई भूत है, ना कोई प्रेत है। हमारा मन ही भूत है, हमारा मन ही प्रेत है। हमारे कर्म बिगड़ जाते हैं और हमारा मन ही भूत की तरह चढ़कर हमें परेशान करने लगता है। आप भूतों से डरते हैं लेकिन आप पाँच महाभूत (आपकी इंद्रियाँ) साथ लेके घूम रहे हैं और आपको दिक़्क़त नहीं लग रही? ये पांच महाभूत ही हमारी दुर्गति कर रहे हैं । अगर इस शरीर राग से ऊपर उठकर, अभी भगवान के चिंतन में मस्त हो जाए तो आपको समझ आ जाएगा कि सब में केवल श्री कृष्ण ही हैं, और कोई नहीं है।
जगत में हर किसी में सिर्फ़ श्री कृष्ण ही हैं!
तीन पर्दे (सत्त्वगुण, रजोगुण और तमोगुण) इस विश्व रूपी सिनेमा में चल रहे हैं। जब तमोगुण का पर्दा आता है तो राक्षसी लीलाएं दिखाई देती हैं जैसे कि हिंसा, व्यभिचार और दुराचार। जब रजोगुणी पर्दा आता है तो काम आदि और जब सत्त्वगुणी तो दया, भक्ति आदि लीलाएं दिखाई देती हैं। पर सच तो यह है कि पर्दा तो सफ़ेद ही है, उस पे सच में कुछ भी नहीं है, पीछे से जो प्रकाश आता है वही पर्दे पे फ़िल्म प्रकाशित करता है। संसार में भी वही एक परमात्मा त्रिगुणात्मिका माया के पर्दे पे कहीं अच्छा कहीं बुरा बनकर रोल कर रहा है। किसी की ताक़त नहीं है कि हम पर भूत चढ़ा दे। फिर तो ईश्वर का महत्व क्या रह गया? भजन नहीं करेंगे और अध्यात्म नहीं जानेंगे तो ये बातें समझ नहीं आएँगी। कोई कैसे हमारे साथ धोखा कर सकता है? कोई कैसे हमारा बुरा कर सकता है?
परेशानियाँ दूर कैसे करें?
हम ग़लत हैं तो हमें भोगना पड़ेगा चाहे कोई कुछ करे या ना करे। अगर हम ग़लत नहीं हैं तो कोई हमें कोई बाधा नहीं पहुँचा सकता। अपनी गलती को सुधारें। निरंतर नाम जप करें, आपका जीवन केवल भगवत् प्राप्ति के लिए है। जैसा हमारा चश्मा है वैसे ही हमें दृश्य दिखाई देतें हैं। अगर आपको सब जगह पाखंड और दुराचार दिख रहा है, तो शायद चश्मा साफ़ करने की ज़रूरत है। चश्मा उतरते ही सब जगह गोविंद दिखने लगेंगे। हम अपनी कमज़ोरियों और वासनाओं को दूर करें तो हमारे भगवान ही सब रूपों में हैं, दूसरा कोई नहीं। यह जीवन अपना सुधार करने के लिए है, दूसरों के दोष देखने के लिए नहीं। सत्संग सुनें, उसको आचरण में उतारें और अपना कल्याण कर लें। राधा राधा जपें, अच्छा आचरण करें, कोई नशा ना करें, कोई प्रेत या आत्मा आपको परेशान नहीं कर पाएगी। यह संसार एक खेल है, अगर आप यह जान गये तो इस खेल से बाहर निकल जाएँगे।
प्रश्न – किसी ने मुझ पर एक प्रेत छोड़ दिया है, वो भूत मुझे काफ़ी परेशान कर रहा है, शांति नहीं मिल रही, क्या करूँ?
मार्गदर्शक – पूज्य श्री हित प्रेमानंद जी महाराज