क्या भगवान की स्तुतियों का पाठ (जैसे कि विष्णु सहस्रनाम या गोपाल सहस्रनाम) अपवित्र अवस्था में कर सकते हैं?
विष्णु सहस्रनाम, गोपाल सहस्रनाम और अन्य स्तुतियाँ भगवान के पवित्र ग्रंथ हैं, जिन्हें शुद्ध अवस्था में ही गाया या पढ़ा जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आप उन्हीं पादुकाओं को पहनकर पाठ कर रहे हैं, जो शौचालय में उपयोग की गई हैं, तो यह शास्त्र मर्यादा के अनुसार उचित नहीं है।
नाम जप (जैसे राधा, कृष्ण, राम, हरि, आदि) किसी भी अवस्था में किया जा सकता है, परंतु पवित्र स्तुतियों और स्तोत्रों, जैसे विष्णु सहस्रनाम, का पाठ शुद्ध अवस्था में ही करना चाहिए। जब आप स्तुति करते हैं, तो आपके वस्त्र और पादुकाएँ पवित्र होनी चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि जिन वस्त्रों और पादुकाओं का उपयोग शौच या बाथरूम में किया गया हो, उनका उपयोग पाठ करते समय न करें।
आप शौचालय या अशुद्ध अवस्था में नाम जप कर सकते हैं। लेकिन शास्त्रों में बताए गए पवित्रता के नियमों का उल्लंघन करके मंत्र जप या स्तोत्र पाठ करने से आपके अंदर काम, क्रोध जैसे विकार बढ़ने लगेंगे। यदि आप शुद्ध अवस्था में इन स्तोत्रों का पाठ करेंगे, तो आपका मन शुद्ध होता जाएगा और काम, क्रोध जैसे विकार समाप्त होने लगेंगे।
यदि पवित्रता का पालन नहीं किया गया, तो साधना करने के बाद भी आपकी परमार्थ में उन्नति नहीं होगी और आपके अंदर विकार बढ़ने लगेंगे। पंचाक्षरी मंत्र, द्वादशाक्षर मंत्र आदि वैदिक मंत्रों का अपवित्र दशा में जप करना हानिकारक है; इससे आपके मानसिक रोग बढ़ सकते हैं।
क्या स्त्रियाँ मासिक-धर्म (Periods) के दौरान पूजा-पाठ, नाम जप आदि कर सकती हैं?
मासिक-धर्म के दौरान माला का उपयोग करके मंत्र (जैसे शरणागति मंत्र या निज मंत्र) जपने की अनुमति नहीं है। लेकिन आप इन मंत्रों का मानसिक जप कर सकती हैं। आप नाम जप भी कर सकती हैं और इसके लिए काउंटर्स या मोबाइल ऐप्स का उपयोग कर सकती हैं।
हालांकि, माला पर नाम जप या मंत्र जप करना, रसोई (किचन) में प्रवेश करना, ठाकुर जी की सेवा करना, और प्रभु के लिए भोग बनाना इस समय वर्जित माना गया है। लेकिन आप यह सब मानसिक रूप से कर सकती हैं।
इन दिनों में ग्रंथों, वाणियों, और शास्त्रों को छूना भी मना है। आप मोबाइल या ऐप के माध्यम से वाणी पाठ कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, मासिक-धर्म के दौरान आप राधा केलि कुंज ऐप (Android / iOS) में उपलब्ध वाणी पाठों को पढ़ और गा सकती हैं (गोपाल सहस्रनाम को छोड़कर)।
शास्त्रों के अनुसार, गोपाल सहस्रनाम और विष्णु सहस्रनाम जैसी स्तुतियों के लिए शुद्धता अनिवार्य होती है। इसलिए इन्हें इन दिनों में करने से बचें।
जिन जूते-चप्पलों में लघुशंका या शौच जाते हैं, क्या उन्हें पहनकर मंत्र या नाम जप कर सकते हैं?
जिस पादुका का उपयोग आप शौचालय में करते हैं, उसमें गुरु मंत्र जपना उचित नहीं है। हालांकि, आप “राधा-राधा,” “राधा वल्लभ श्री हरिवंश,” या भगवान का कोई अन्य नाम जप सकते हैं।
गुरु मंत्र केवल तब जपें, जब आपका शरीर, कपड़े, आसन, और पादुका पूरी तरह से पवित्र हों। भगवान का नाम जप निरंतर किया जा सकता है, क्योंकि इसमें पवित्रता का कोई सख्त नियम नहीं है। लेकिन ध्यान रखें कि अपवित्र अवस्था में या जूठे मुँह मंत्र (जैसे कि गुरु मंत्र) जपने से काम, क्रोध, और अन्य विकार बढ़ सकते हैं।
मार्गदर्शक: श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज