नीचे दिये गये आचरणों को करने से आयु का नाश होता है। यह वह आचरण हैं, जिनको करने से हम अपनी आयु को नष्ट कर देते हैं और अकाल मृत्यु को प्राप्त होते हैं। इन आचरणों को करने से भयंकर अशांति और दुख प्राप्त होते हैं।
1. नास्तिकता
जो लोग नास्तिकता के वचन बोलते हैं, नास्तिकता की भावना रखते हैं, शास्त्र की आज्ञा के विरुद्ध क्रियाएँ करते हैं, गुरु की अवहेलना करते हैं, गुरु आज्ञा का उल्लंघन करते हैं, धर्म को नहीं मानते और दुराचार परायण रहते हैं, उनकी आयु बहुत जल्दी नष्ट हो जाती है।
2. चंचलता
कुछ चंचल स्वभाव वाले जन व्यर्थ के कार्यों में समय नष्ट करते हैं। इन कार्यों में से कुछ हैं: दाँत से तिनका चबाना, कपड़े चबाना, अपने नाखूनों को चबाना, बैठे-बैठे कुछ भी फाड़ना, किसी का भी झूठा भोजन खाना, बासी और अपवित्र भोजन खा लेना, बैठे-बैठे पैर हिलाना आदि। इन व्यर्थ के कार्यों को करने से आयु क्षीण हो जाती है।
3. संध्या के समय अनुचित कार्य करना
जो संध्या के समय भोजन करते हैं, मैथुन करते हैं या सोते रहते हैं, उनकी आयु क्षीण हो जाती है। हमें बहुत सावधानी पूर्वक जीवन व्यतीत करना है। जो संध्या काल में देव आराधन, हरि आराधन या भगवद् चिंतन करता है, वह अपनी आयु को बढ़ाता है। वह लोक-परलोक में सुख को प्राप्त करता है।
4. सूर्यदेव का अपमान
जो ग्रहण के समय और मध्याह्न के समय सूर्य की तरफ देखते हैं और जो सूर्य की तरफ खड़े होकर लघु शंका करते हैं या थूकते हैं, उनकी आयु नष्ट हो जाती है।
5. पराई स्त्री या पराए पुरुष से संबंध
जो पुरुष, काम भाव से व्याकुल होकर, पराई स्त्री के साथ संभोग करता है, छल करके संभोग करता है, ज़बरदस्ती बलात्कार की भावना से युक्त होकर संभोग करता है, तो शास्त्र कहते हैं कि उसकी आयु नष्ट हो जाती है। उस स्त्री के शरीर में जितने रोम कूप हैं, उस पुरुष को उतने वर्षों तक नरक भोगना पड़ता है।
6. पूज्य जनों का अपमान
यदि कोई संत, वैष्णव, ब्रह्म ऋषि या गुरुजन पधारें और आप अभिमान पूर्वक खड़े/बैठे रहें और उनका सम्मान ना करें, तो आपकी आयु नष्ट हो जाएगी। यदि कोई गर्भवती स्त्री आ रही है और आप उसे धक्का देते हैं या उसे मार्ग नहीं देते, तो यह अपराध बन जाएगा। कोई दुर्बल है, वृद्ध है, या कोई भार लिए हुए है और आप उसे मार्ग नहीं देते या उसे पीड़ा पहुंचाते हैं, तो आपकी आयु नष्ट हो जाएगी।
7. दूसरों के वस्त्र या पादुका पहनना
आप केवल गुरुजनों के और भगवद् प्रसादी पादुका या वस्त्र धारण कर सकते हैं। अन्य दूसरों के पहने हुए कपड़े या पादुका नहीं पहनने चाहिए, इससे आपकी आयु घटती है।
8. संयम से न रहना
अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दशी, अष्टमी और एकादशी आदि तिथियों को गृहस्थों को भी संभोग नहीं करना चाहिए। इन दिनों पर पूर्ण ब्रह्मचर्य से रहना चाहिए, अन्यथा आपकी आयु नष्ट हो जाएगी।
9. कटु वचन और व्यवहार
दूसरों के हृदय को बेधने वाले वचन कभी ना बोलें। क्रूरता पूर्वक कोई भी क्रिया ना करें। ऐसी कोई चेष्टा ना करें जिससे कोई नीचा दिखे। रूखे वचन और दूसरों को उद्वेग देने वाले वचन कभी ना बोलें, नहीं तो आपकी आयु नष्ट हो जाएगी। बाणों से बेधा गया शरीर तो औषधि से ठीक हो सकता है, लेकिन दुर्वचनों से व्यथित हृदय को ठीक नहीं किया जा सकता। इसलिए शास्त्र आज्ञा करते हैं कि कभी ऐसे कटु वचन ना बोलें जिससे दूसरे का हृदय छलनी हो जाए।
10. दूसरों का उपहास करना / दोष दर्शन करना
यदि कोई अंधा है, लंगड़ा है, कुरूप है या निर्बल है, तो हमें उससे बहुत प्यार से बात करनी चाहिए। उनका उपहास ना करें। यदि आप उनका उपहास करते हैं तो आपकी आयु नष्ट हो जाएगी। आपके सुकृत नष्ट हो जाएंगे। उनके ऐसे कुछ कर्म बन गये होंगे जिनकी वजह से उन्हें ऐसा रूप मिला, ऐसे अंग मिले या ऐसा कष्टप्रद जीवन मिला। आपको अपने वचनों या क्रियाओं से उन्हें दुख नहीं पहुँचाना। आपकी वजह से उन्हें हीनता का अनुभव नहीं होना चाहिए। दूसरों के दोष देखने के लिए शास्त्र निषेध करता है। गुरु अपने शिष्य के दोष देखकर उसे निर्दोष बनाने के लिए दंड दे सकते हैं।
11. शौचाचार के नियमों का पालन ना करना
जब आप शौचालय में हों, तब मौन रहिए। मल-मूत्र त्याग करने के बाद जो पवित्र नहीं होते, उनकी आयु नष्ट हो जाती है। शास्त्र आज्ञा करते हैं कि आप शौच करने के बाद पवित्र हों, स्नान करें और आचमन करें। पवित्र होकर फिर वस्त्र धारण करें। अगर आप लघु शंका के लिए गए हैं तो पवित्र हों, हाथ और पैर धोएँ, आचमन करें और लघुशंका के समय मौन रहिए। जब आप भोजन पाने जाएँ तो हाथ, पैर और मुख धोकर भगवद् चिंतन करते हुए भोजन पाएँ, नहीं तो आपकी आयु क्षीण हो जाएगी।
12. ब्रह्म मुहूर्त में सोते रहना
जो लोग सूर्योदय होने के बाद तक सोते रहते हैं, उनकी आयु क्षीण होती है और उनकी बुद्धि मलिन हो जाती है। अगर आप सूर्योदय होने के बाद भी सोते रहते हैं तो आपकी विषयों में आसक्ति बढ़ जाएगी और आपका शरीर अस्वस्थ हो जाएगा।
13. पवित्र स्थानों को दूषित करना
बिना स्नान किए मंदिर जाना या कोई देव कार्य करना, इस सबकी आज्ञा शास्त्र नहीं देते। किसी अन्न से भरी खेती में, मंदिर के समीप या पीपल के वृक्ष के नीचे लघु शंका या शौच आदि करने से भी आपकी आयु नष्ट हो जाएगी।
हमारी आयु बढ़े, हम स्वस्थ रहें और आनंद पूर्वक भगवद् चिंतन करते हुए जीवन व्यतीत करें, इसलिए हमें शास्त्रों की आज्ञा के अनुसार आचरण करने चाहिए। अगर आप ऐसा करेंगे तो आपका मंगल हो जाएगा।
मार्गदर्शक: पूज्य श्री हित प्रेमानंद जी महाराज